Homeशिक्षाप्रद कथाएँअपराधी कौन (बादशाह अकबर और बीरबल)

अपराधी कौन (बादशाह अकबर और बीरबल)

एक औरत एक आदमी को साथ लेकर बादशाह अकबर के दरबार में उपस्थित हुई और अपना दुखड़ा रोने लगी – “हुजूर, मैं लुट गई, इस आदमी ने मेरे सारे गहने लूट लिए हैं, अब आप ही इंसाफ करें|”

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“तुम अपनी सफाई में कुछ कहना चाहते हो?” अकबर ने उस आदमी से पूछा|

“हुजूर, मैं बेगुनाह हूं, मैंने कोई अपराध नहीं किया है| हुजूर, मैं एक परदेसी हूं, आपसे मिलने की इच्छा रखता था… इस औरत ने आपसे मिलवाने का वादा किया और यहां लाकर मुझे ही फंसाने की कोशिश कर रही है|”

“हुजूर, यह आदमी झूठ बोल रहा है… इसी ने मेरे सारे जेवर लूटे हैं|” औरत ने कहा|

दोनों की बातें सुनने के बाद अकबर यह तय नहीं कर पाए कि फैसला किसके हक में दें| उन्होंने फैसले के लिए बीरबल को आगे कर दिया|

बीरबल ने दोनों पक्षों की बाते गम्भीरता से सुनीं| फिर वह उस औरत से बोला – “तुम्हारे जो गहने लुटे हैं उनकी कीमत क्या होगी?”

“हुजूर, पांच हजार के गहने थे|” औरत ने जवाब दिया|

बीरबल ने उस औरत को अच्छी तरह देखा| फिर उसने एक दरबारी को बुलाया और उसके कान में कहा – “शाही खजाने से पांच हजार रुपये निकालकर चुपचाप उस परदेसी को दे दो और कहो कि जब बीरबल उसे कहे तो रुपये उस औरत को सौंप दें|”

दरबारी ने वैसा ही किया|

कुछ देर सोचने के बाद बीरबल ने कहा – “परदेसी, हमें यकीन है कि तुमने ही इस औरत के जेवर लुटे हैं, अत: तुम उसके जेवरों की कीमत पांच हजार रुपये अदा कर दो|”

परदेसी ने वह पांच हजार रुपये जो उसे बीरबल ने दिलवाए थे, उस औरत को दे दिए| वह औरत रुपये लेकर चल दी|

उस औरत के जाने के बाद बीरबल ने परदेसी से कहा – “अब तुम उस औरत से पांच हजार रुपये लूटकर आओ|”

वह आदमी भी चला गया|

बीरबल ने अपने दो पहरेदार भी उन पर गुपचुप नजर रखने के लिए पीछे भेज दिए|

परदेसी ने उस औरत को रास्ते में ही पकड़ लिया और रुपये छीनने लगा| काफी कोशिश करने के बाद भी वह उससे रुपये नहीं छीन सका| औरत ने उसका हाथ पकड़ कर रहा – “चल दरबार में, तुझे जेवर लूटने की सजा तो मिल गई, अब तुझे रुपये लूटने की कोशिश करने के अपराध की सजा दिलवाऊंगी|”

औरत परदेसी को लेकर दरबार में आ गई और कहने लगी कि यह आदमी अब मेरे रुपये लूटने की कोशिश कर रहा था|

“क्या उसने तुम्हारे रुपये लूट लिए?” बीरबल ने पूछा|

“नहीं हुजूर, मैंने उसे रुपये लूटने ही नहीं दिए|”

बीरबल ने उन पहरेदारों की तरफ देखा, जिन्हें उसने उन दोनों के पीछे लगाया था| उन्होंने भी यही कहा कि वह औरत दृढ़ता के साथ उस युवक का मुकाबला करने लगी और उसे रुपये नहीं लूटने दिए|

बीरबल अब उस औरत की ओर देखने लगा और कहा – “तुमने अब तक केवल झूठ ही बोला है| जो आदमी तुमसे रुपये नहीं लूट सका, वह तुम्हारे जेवर कैसे लूट सकता है?”

बीरबल ने पहरेदारों को उस औरत को गिरफ्तार करने की आज्ञा दी|

वह औरत डर गई, उसने अपना अपराध स्वीकार कर लिया| बीरबल ने उससे रुपये वापस लेकर शाही खजाने में भिजवा दिए और उस औरत को कारागार में डाल दिया| परदेसी को इज्जत के साथ वापस भेज दिया|

बीरबल के न्याय से बेहद खुश हुए बादशाह अकबर|