बहुत समय पहले बंगाल में महाराज कृष्णचन्द्र का राज्य था| उनके दरबार में बहुत सारे विदूषक थे| सबसे ज्यादा लोकप्रिय था-गोपाल| गोपाल नाई था लेकिन सब लोग उसे गोपाल भांड कहकर बुलाते थे|
भारत के पूर्वी हिस्से में उड़ीसा नाम का राज्य है| महानदी के मुहाने पर आसपास की जमीन बहुत उपजाऊ है-धान के खेत, जंगल और ताजा हरी घास, जिसे वहां के मवेशी भरपेट खाते हैं|
यह सच्ची घटना ओडीसा की है। उर्मिला दास अपने छोटे से परिवार पति और दो बच्चों में प्रसन्न थी। वे निर्धन थे किंतु गुजारे लायक कमा लेते थे। कम साधनों में भी पर्याप्त संतुष्टि का भाव उस परिवार में था और इसीलिए वे आनंद से जीवन व्यतीत कर रहे थे। किंतु एक दिन ऐसा आया कि इस परिवार की खुशियों पर ग्रहण लग गया।
गांधीजी का जन्म-दिन सादगी के साथ मनाया जाता था| एक बार सेवाग्राम में जब उनका जन्म-दिन मनाया गया तो आश्रम के भाई-बहनों के अलावा इधर-उधर के भी काफी लोग जमा हो गए|
त्रिपुरा के जंगलो में एक शुकरी रहती थी| अपने बच्चो के साथ, शुकरी खुशी-खुशी दिन बिता रही थी| एक दिन जंगल में अपने बच्चों के लिए भोजन ढूढ़ते हुए, उसने एक बाघ के बच्चे के रोते हुए देखा|
एक महात्मा रात-दिन एक जंगल में साधना करते रहते थे। एक दिन उस राज्य का राजा उस जंगल में कहीं से घूमता हुआ पहुंचा। एक निर्जन स्थान पर महात्मा जी को भक्ति में लीन देखकर वह सोचने लगा कि यह आखिर कैसे गर्मी, सर्दी, बरसात और हर तरह के कष्ट सहते हुए अपने लक्ष्य को साधने में लगे हुए हैं?
सूफी-संतों में राबिया का स्थान बहुत ऊंचा था| वे बड़ी सादगी का जीवन बितातीं थीं और सबको बेहद प्यार करती थीं| ईश्वर में उनकी अगाध श्रद्धा थी| उन्होंने अपना सब कुछ उन्हीं को सौंप रखा था|
बंगाल के एक सुन्दर गांव में एक निर्धन ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ बहुत तंगहाली में रह रहा था| दोनों घर-घर जाकर भिक्षा मांगते, तब कहीं उन्हें दो जून रोटी नसीब होती थी|
एक छोटी व शांत पहाड़ी पर एक बैरागी रहते थे। उनकी आत्मा शुद्ध और हृदय निर्मल था। उस हरे-भरे एकांत में वे अकेले प्रभुभक्ति में रमे रहते। वे न कहीं आते-जाते और न ही उनकी विशेष आवश्यकताएं थीं। अपनी सीमित जरूरतों को वे वहीं पूर्ण कर लेते थे। वन के पशु और आकाश के पक्षी सभी उनके पास आते और वे उनसे खूब बातें करते।
किसी जगह डाकुओं का एक दल था| उस दल का सरदार बड़ा खूंखार था| चारों ओर उसका इतना आतंक था कि लोग उसके नाम से थर-थर कांपते थे| एक दिन उसने अपने एक साथी को आदेश दिया कि वह अमुक दिन, अमुक जगह पर मिले| जिस दिन साथी को जाना था, उससे एक दिन पहले उसकी पत्नी बहुत बीमार हो गई, पर सरदार की आज्ञा तो पत्थर की लकीर थी| उसे कौन टाल सकता था| स्त्री को बुरी हालत में छोड़कर वह नियत दिन, नियत स्थान पर पहुंच गया|
कई वर्ष पहले, एक घने जंगल में चार चोर रहते थे| चुराया हुआ धन वे एक साधारण से बर्तन में रखते थे लेकिन उसकी हिफाजत जान से भी ज्यादा करते थे| कुछ अरसे बाद उनका मन चोरी-चकारी से उब गया|
सड़क पर चलते हुए एक पथिक की भेंट पास के गांव में रहने वाले एक आदमी से हुई। पथिक ने विस्तृत क्षेत्र की ओर संकेत करते हुए उससे पूछा- यह वही युद्धक्षेत्र है न, जहां सम्राट आलम अपने शत्रुओं पर विजयी हुआ था? उस आदमी ने उत्तर दिया- नहीं, यह कभी युद्धक्षेत्र नहीं रहा। यहां पर तो जाद नाम का एक बड़ा शहर था, जो जलाकर खाक कर दिया गया। इसीलिए अब यह बड़ी उपजाऊ भूमि है। पथिक आगे बढ़ गया।
19वीं शताब्दी के भारतीय संतो, सुधारकों और चिन्तकों में स्वामी रामतीर्थ की गिनती की जाती है| उन्हें ‘बादशाह राम’ के नाम से उनके समय की जनता पुकारती थी| वह एक बार देशाटन करते हुए ऋषिकेश पहुँचे|
किसी होटल के मालिक ने एक लड़का नौकर रखा| उसकी उम्र अधिक नहीं थी| वह लड़का बड़ा भला और भोला था, बहुत ही ईमानदार और मेहनती था| एक दिन वह लड़का शीशे के गिलास धो रहा था|
एक समय की बात है-एक बहुत ही भोला -भोला दंपति था| पति-पत्नी, दोनों ही इतने ज्यादा भोले थे कि कई बार तो उनके निपट मुर्ख होने का भी सन्देह होता था|
ईरान के सुल्तान एक बार किसी कारणवश ईरान के एक कबीले कबूदजामा के सरदार नसरुद्दीन से नाराज हो गए। उन्होंने अपने एक अन्य सरदार को हुक्म दिया कि जाओ और उसका सिर काटकर ले आओ। अपने एक संबंधी से नसरुद्दीन को यह समाचार मालूम हुआ।
बार की बात है संयुक्त राज्य अमेरिका के पहले राष्ट्रपति जॉर्ज वाशिंगटन घोड़े पर नगर की स्थिति देखने चले|
किसी गांव में एक किसान रहता था| वह बड़ा ही भला और मेहनती था| उसके दो लड़के थे| वह दोनों को अच्छी सीख देता था| कहता था – “जो बोओगे, वही काटोगे|”
मध्य प्रदेश के रायपुर जिले के आसपास का इलाका छत्तीसगढ़ कहलाता है| इस प्रदेश के कई दूसरे इलाकों की तरह भी काफी संख्या में जनजातियां रहती हैं|
एक बार एक राजा ने अपने मंत्री से कहा, ‘मुझे इन चार प्रश्नों के जवाब दो। जो यहां हो वहां नहीं, दूसरा- वहां हो यहां नहीं, तीसरा- जो यहां भी नहीं हो और वहां भी न हो, चौथा- जो यहां भी हो और वहां भी।’
त्याग-तपस्या का हमारे देश में सदा आदर-सम्मान रहा है| साथ ही त्यागी-तपस्वी भी ऐसे रहे हैं जो घोर दरिद्रता में रहे, परंतु कभी किसी के सामने उन्होंने हाथ नहीं पसारा|
किसी नगर में गंगा के किनारे बैठकर एक भिखारी भीख मांगा करता था| उसके हाथ में एक कटोरा रहता था, जिसे जो देना होता था, वह कटोरे में डाल देता था|
एक रोज सुबह-सुबह राजा वीरभद्र आखेट के लिए निकला| महल लौटने को हुआ तो बहुत ही थका, भूखा और प्यासा हो चूका था| तभी, सड़क के किनारे उसने तरबूजों का खेत देखा| एक प्यासे को इससे बढ़कर और क्या चाहिए?
जीवन दर्शन एक वर्ष भीषण बारिश हुई। मध्यप्रदेश की एक नदी में बाढ़ आ गई। वहां के सारे गांव और बस्ती खाली हो गए, लेकिन एक स्थान ऐसा था जहां कुछ लोग बाढ़ से तो बच गए, किंतु पानी से घिर गए। उनके चारों ओर पानी ही पानी था। खाने-पीने का कोई सामान नहीं और सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं थी।
एक राजा था| उसे हर घड़ी इस बात का डर लगा रहता था कि कहीं कोई दूसरा राजा उसके राज्य पर हमला करके उसे मार न डाले| वह सुरक्षा का उपाय सोचता, लेकिन उसकी समझ में कुछ भी न आता|
एक घने जंगल की गुफा में एक नन्हा मेमना अपने माँ-बाप के साथ रहता था| बकरी परिवार के खाने के लिए जंगल में बहुत कुछ था-झाड़िया,पत्तियां आदि| तीनों का जीवन आराम से कट जाता, बस शिकारी जानवरों का डर भर न होता|
बहुत पुरानी बात है| उन दिनों इंग्लैंड और स्पेन के मध्य लड़ाई चल रही थी| लड़ाई के मोर्चे पर अंग्रेजों का एक वीर योद्धा सर किल्पि सिडनी घायल होकर गिर गया|
उस समय की बात है, जब विख्यात बांग्ला लेखक शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने लेखन की शुरुआत ही की थी। उन दिनो कई बार तो उनकी रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं से लौटा दी जाती थीं और प्रकाशित होने पर भी उन्हें दूसरे लेखकों की तुलना में कम पारिश्रमिक मिलता था। इसी संकोच के कारण कई बार तो वह कहानी लिख कर भी छपने के लिए कहीं नहीं भेजते थे।
एक पंडित व चोर प्रतिदिन शिव मंदिर जाते। एक दिन चोर को मंदिर के द्वार पर सोने की अशर्फियां मिलीं और पंडित के पैर में लोहे की कील चुभ गई। तभी भगवान शिव प्रकट हुए और दोनों को उनके कर्मो का महत्व बताते हुए समझाया।
गोपाल भाड़ बहुत ही बुद्धिमान और मेहनती आदमी था| उसकी बुद्धि और व्यवहार कुशलता के बहुत चर्चे थे| लोगों की हर समस्या का हल वह चुटकियों में करता था| इसलिए उसके पास लोग अपनी-अपनी मुश्किलें लेकर आते ही रहते है|