स्वार्थी फाख्ता – शिक्षाप्रद कथा
एक बार एक फाख्ता किसी बहेलिए के जाल में फंस गई| वह फड़फड़ाई और जाल से निकलने की भरसक कोशिश की, परंतु फसल नहीं हो सकी|
एक बार एक फाख्ता किसी बहेलिए के जाल में फंस गई| वह फड़फड़ाई और जाल से निकलने की भरसक कोशिश की, परंतु फसल नहीं हो सकी|
एक बार एक चालाक आदमी भूख से बेहाल इधर-उधर भोजन की तलाश में घूम रहा था| अंत में जब उसे भोजन प्राप्त नहीं हुआ तो निराश होकर ईश्वर के सामने घुटने टेक दिए – “हे ईश्वर, मुझ पर दया करो| अगर तुम मुझे एक सौ खजूर दोगे तो मैं आधे तुम्हारी सेवा में अर्पित कर दूंगा|”
एक बार एक मधुमक्खी ने एक बरतन में शहद इकट्ठा किया और ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए उनके समक्ष प्रस्तुत किया| ईश्वर उस भेंट से बहुत प्रसन्न हुए और मधुमक्खी से बोले कि वह जो चाहे इच्छा करे, उसे पूरा किया जाएगा|
एक बहेलिया था| एक बार जंगल में उसने चिड़िया फंसाने के लिए अपना जाल फैलाया| थोड़ी देर बाद ही एक उकाब उसके जाल में फंस गया|
एक बार एक बहेलिए ने एक फाख्ता अपने जाल में फंसाई| वह उसे अपने घर लाया और उसे अपनी मुर्गियों के साथ रख दिया| अपने बीच एक अजनबी और नई चिड़िया देखकर सभी मुर्गियां फाख्ता को परेशान करने लगीं और उसे चोंचें मारने लगीं|
किसी गांव में एक व्यक्ति रहता था| वह शिकार खेलने का बेहद शौकीन था| इसके लिए उसने दो कुत्ते पाल रखे थे| एक कुत्ते को उसने बाकायदा शिकार करने का प्रशिक्षण भी दिलवाया था| दूसरे कुत्ते को वह घर की रखवाली के लिए रखे हुए थे|
किसी गांव में एक धनी व्यक्ति रहता था| उसके पास अनगिनत भेड़ें थीं| उसने अपनी भेड़ें चराने के लिए एक व्यक्ति को नौकर रखा हुआ था| एक बार उस धनी व्यक्ति को ऐसे स्थान पर जाना पड़ा, जहां समुद्र था| वह समुद्र के किनारे तट पर बैठ गया| सुबह का समय था और समुद्र भी शांत था|
एक बार दो पालतू मुर्गे आपस में लड़ने लगे| दोनों ही अपने-अपने क्षेत्रों पर राजा के समान अपना अधिकार जमाना चाहते थे| झगड़ा इतना बढ़ा कि दोनों बहुत बुरी तरह आपस में गुंथ गए| दोनों ही अपने नुकीले पंजों से एक-दूसरे का पेट फाड़ देना चाहते थे|
एक बार एक शिकारी किसी घने जंगल से होकर गुजर रहा था| उसके पास बंदूक भी थी| जब वह जंगल के भीतर गया तो उसने पेड़ की एक डाल पर एक कबूतर बैठा देखा|
किसी किसान के बाग में शरीफे का एक पेड़ था| उस पेड़ पर अत्यन्त स्वादिष्ट फल लगते थे| एक दिन वह जमींदार के पास उसे खुश करने के लिए कुछ शरीफे ले गया| जमींदार ने शरीफे खाए तो बहुत प्रसन्न हुआ| फल उसे इतने पसन्द आए कि उसने निश्चय कर लिया कि वह उस पेड़ को हथिया लेगा|