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एक बार एक शहरी चूहा अपने गांव में रहने वाले अपने मित्र चूहे से भेंट करने गया| गांव का चूहा एक गरीब किसान के घर में रहता था| चूंकि शहर का चूहा गांव के चूहे का अतिथि था, इसलिए गांव के चूहे ने अपने मेहमान को स्वादिष्ट भोजन परोसने में कोई कसर न छोड़ी|

एक गांव था, जहां के निवासियों ने कभी ऊंट नहीं देखा था| एक बार किस्मत का मारा एक एक ऊंट रास्ता भटक गया और गांव के बीच खेतों में जाकर चरने लगा| गांव वालों ने कभी ऐसा अजीबोगरीब प्राणी नहीं देखा था, इसलिए वे सब भयभीत होकर इधर-उधर भागने लगे|

किसी जंगल के किनारे पानी से भरी एक बड़ी सी झील थी| इसमें कुछ मेंढ़क खूब मजे का जीवन व्यतीत कर रहे थे| एक बार ऐसा हुआ कि वर्षा ऋतू में पानी की एक बूंद भी नहीं बरसी| भीषण गरमी से झील सूख गई थी|

एक बार एक मुर्गा भोजन की तलाश कर रहा था| भोजन तलाश करने के दौरान ही एक कूड़े के ढेर में उसे एक बड़ा-सा हीरा मिला| उस हीरे को देखकर वह आश्चर्य में पड़ गया| फिर उसने उसे चोंच में भर कर तोड़ना चाहा, परंतु भला हीरा कैसे टूटता| तभी उसके इर्द-गिर्द मुर्गे भी जमा हो गए और कौतूहलवश उस हीरे के टुकड़े को देखने लगे|

एक बड़े मकान में सैकड़ों चूहे रहते थे| उसी मकान में एक बिल्ली भी रहती थी| जब भी उस बिल्ली को भूख लगती, वह किसी अंधेरे स्थान पर छुप कर बैठ जाती और जैसे ही कोई चूहा भोजन की तलाश में उधर आता, वह उस पर झपट पड़ती और उसे मार कर चट कर जाती|

एक बार एक भालू बहुत प्रसन्न मुद्रा में जंगल में घूम रहा था| उसे जिस भोजन की तलाश थी, वह था शहद| भालू को यह भी मालूम था कि उसे शहद कहां मिलेगा| उसने अपना थूथन उठाया, कुछ सूंघा और फिर एक ओर चल पड़ा|

एक बार एक विषैला सांप नदी के किनारे लेटा धूप का आनन्द ले रहा था कि तभी न जाने कहां से एक काला कौआ उसके ऊपर झपटा और अपने पंजों में दबाकर आकाश में उड़ गया| सांप बुरी तरह ऐंठ कर खुद को कौए के पंजों से छुड़ाने का प्रयत्न करने लगा, मगर लाख प्रयास करने पर भी सफल नहीं हुआ|

एक सिंह और एक गधे में आपस में बहुत गहरी मित्रता थी| यद्यपि उनका स्वभाव भिन्न था, परंतु वे हमेशा साथ-साथ ही घूमते थे| गधा और सिंह जहां भी जाते, वहीं वन्य प्राणियों में भगदड़ मच जाती| दरअसल, यह होता तो शेर की वजह से था, मगर गधे को बड़ी भरी गलतफहमी हो गई थी कि सभी जीव-जन्तु उससे भी दहशत खाते हैं और वह भी एक बलशाली जीव हैं|

किसी गांव में कुछ शरारती लड़के रहते थे| एक दिन वे गांव के एक तालाब में मेंढकों पर पत्थर फेंक कर खेल का आनन्द ले रहे थे| जैसे ही मेंढ़क पानी की सतह पर आते, लकड़े उनको पत्थरों से मारते| मेंढकों को घायल होकर मरता देखकर उन्हें बहुत प्रसन्नता होती और वे तालियां बजाते|

एक बार जंगल में एक पेड़ पर एक कौआ बैठा था| सामने ही हरी-भरी चरागाह में कुछ भेड़ें और मेमने चर रहे थे| तभी उड़ता हुआ एक उकाब आया| थोड़ी देर तक वह पंख फैलाए आकाश में मंडराता रहा| फिर नीचे की ओर आकर मेमनों के झुण्ड पर झपट्टा मारा और एक मोटे ताजे मेमने को उठाकर ले गया|