तांघ माही दी जली आं – काफी भक्त बुल्ले शाह जी
तांघ माही दी जली आं
नित काग उडावां खली आं| टेक|
एक बालक सिद्धार्थ प्रातःकाल घूमने के लिए बगीचे में गया| बगीचे में बहुत से पक्षी उछल-कूद कर रहे थे|
ऋषि विश्वामित्र ने इस प्रकार कथा सुनाना आरम्भ किया, “पर्वतराज हिमालय की अत्यंत रूपवती, लावण्यमयी एवं सर्वगुण सम्पन्न दो कन्याएँ थीं। सुमेरु पर्वत की पुत्री मैना इन कन्याओं की माता थीं। हिमालय की बड़ी पुत्री का नाम गंगा तथा छोटी पुत्री का नाम उमा था। गंगा अत्यन्त प्रभावशाली और असाधारण दैवी गुणों से सम्पन्न थी। वह किसी बन्धन को स्वीकार न कर मनमाने मार्गों का अनुसरण करती थी। उसकी इस असाधारण प्रतिभा से प्रभावित होकर देवता लोग विश्व के क्याण की दृष्टि से उसे हिमालय से माँग कर ले गये। पर्वतराज की दूसरी कन्या उमा बड़ी तपस्विनी थी। उसने कठोर एवं असाधारण तपस्या करके महादेव जी को वर के रूप में प्राप्त किया।”
“Sanjaya said, ‘That foremost of car-warriors, O monarch, thy son, ridingon his car and filled with the courage of despair, looked resplendent inthat battle like Rudra himself of great valour.
“Yudhishthira said, ‘Tell me, O grand-sire, what regions are earned byunreturning heroes by encountering death in battle.”
“Yudhishthira said, ‘Tell me, O grandsire, what is that which is the mostsacred of all sacred things in the world, other than that which has beenalready mentioned, and which is the highest of all sanctifying objects.’