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स्वामी स्वतंत्रतानन्द जी एक कर्मठ साधु थे| वह प्रतिदिन अपने आश्रम में जनता को उपदेश देते थे| प्रतिदिन वह जनता और श्रोताओं से अनुरोध करते थे कि यदि वे जीवन में आगे बढ़ना चाहते हो तो उन्हें किसी बुराई को छोड़ने का व्रत लेना होगा और किसी अच्छी बात को जीवन में अपनाने का संकल्प लेना चाहिए|