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एक छोटे से गाँव में एक ब्राह्मण और उसकी पत्नी रहते थे| उन दोनों के कोई संतान नहीं थी इस कारण वे बहुत दुखी रहते थे| वे हर रोज बच्चे के लिए भगवान से प्रार्थना करते, पूजा-अर्चना करते और मनौतियां मनाते रहते| कुछ समय बाद उनकी मनोकामना पूरी हो गई| एक दिन उनके घर में एक बच्चे ने जन्म लिया| पर वह बच्चा, एक सांप था|

कोमार्यावस्थामें कुन्तीको महर्षि दुर्वासाकी सेवाके फलस्वरूप देवताओंके आवाहनका विलक्षण मन्त्र प्राप्त हुआ| मन्त्रशक्तिके परीक्षणके लिये कुन्तीने भगवान् सूर्यका आवाहन किया और कौमार्यावस्थामें ही कुन्तीके द्वारा एक दिव्य बालककी उत्पत्ति हुई|