Chapter 142
“Dhritarashtra said, ‘After the Kuru warrior Bhurisravas had been slainunder those circumstances, tell me, O Sanjaya, how proceeded the battle.’
“Dhritarashtra said, ‘After the Kuru warrior Bhurisravas had been slainunder those circumstances, tell me, O Sanjaya, how proceeded the battle.’
“Vasudeva continued, ‘O bull of the Bharata race, having spoken thus untothe Yadavas, the son of Rukmini (Pradyumna) ascended his golden car.
सत्यवती के चित्रांगद और विचित्रवीर्य नामक दो पुत्र हुये। शान्तनु का स्वर्गवास चित्रांगद और विचित्रवीर्य के बाल्यकाल में ही हो गया था इसलिये उनका पालन पोषण भीष्म ने किया।
एक दर्जी था| जिसका नाम दया सागर था| नाम के अनुसार ही उसमें वैसे गुण भी थे| वह बहुत दयालु स्वभाव का परिश्रमी व्यक्ति था| जब वह अपनी दुकान पर कपड़े सिलता रहता था तो उसकी दुकान पर एक हाथी प्रतिदिन आकर खड़ा हो जाता था दर्जी रोज हाथी को कुछ न कुछ खाने को देता था| परिणामस्वरुप हाथी दर्जी को रोज सैर कराने ले जाता था| हाथी नियमित रुप से प्रतिदिन आने लगा था|
1 [वा]
शाल्व बाणार्दिते तस्मिन परद्युम्ने बलिनां वरे
वृष्णयॊ भग्नसंकल्पा विव्यथुः पृतना गताः
1 [वा]
एवम उक्तस तु कौन्तेय सूतपुत्रस तदा मृधे
परद्युम्नम अब्रवीच छलक्ष्णं मधुरं वाक्यम अञ्जसा
“Sanjaya said, ‘When the loud noise of battle had somewhat subsided andthe Pandavas had slain large numbers of their foes, Subala’s son (oncemore) came for fight with the remnant of his horsemen numbering sevenhundred.
एक कबूतरों का एक झुण्ड खाने की तलाश में बड़ी दूर उड़ता चला गया| मीलों उड़ने के बाद भी उन्हें कहीं अन्न का दाना नहीं आया| यों ही भूखे-प्यासे एक वे घने जंगल के ऊपर से गुजर रहे थे| एक नन्हा कबूतर बहुत थक गया था| उसने झुण्ड के सरदार से विनय की, “महाराज, हम कहीं थोड़ी देर के लिए सुस्ता लें|”
“Bhishma said, ‘A king should never desire to subjugate the earth byunrighteous means, even if such subjugation would make him the sovereignof the whole earth.
“Bhishma said, ‘They who make gifts of kine, and who subsist upon theremnants of things offered as libations on the sacred fire, are regarded,O Yudhishthira, as always performing sacrifices of every kind. Nosacrifice can be performed without the aid of curds and ghee.