Home2011November (Page 3)

सत्यवती के चित्रांगद और विचित्रवीर्य नामक दो पुत्र हुये। शान्तनु का स्वर्गवास चित्रांगद और विचित्रवीर्य के बाल्यकाल में ही हो गया था इसलिये उनका पालन पोषण भीष्म ने किया।

एक दर्जी था| जिसका नाम दया सागर था| नाम के अनुसार ही उसमें वैसे गुण भी थे| वह बहुत दयालु स्वभाव का परिश्रमी व्यक्ति था| जब वह अपनी दुकान पर कपड़े सिलता रहता था तो उसकी दुकान पर एक हाथी प्रतिदिन आकर खड़ा हो जाता था दर्जी रोज हाथी को कुछ न कुछ खाने को देता था| परिणामस्वरुप हाथी दर्जी को रोज सैर कराने ले जाता था| हाथी नियमित रुप से प्रतिदिन आने लगा था|

एक कबूतरों का एक झुण्ड खाने की तलाश में बड़ी दूर उड़ता चला गया| मीलों उड़ने के बाद भी उन्हें कहीं अन्न का दाना नहीं आया| यों ही भूखे-प्यासे एक वे घने जंगल के ऊपर से गुजर रहे थे| एक नन्हा कबूतर बहुत थक गया था| उसने झुण्ड के सरदार से विनय की, “महाराज, हम कहीं थोड़ी देर के लिए सुस्ता लें|”