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आमाशय और अंतड़ियों में बहुत से विकार पाए जाते हैं| उनमें से कृमि रोग भी बच्चे को परेशान करता है| ये कृमि लगभग 20 प्रकार के होते हैं जो अंतड़ियों में घाव पैदा कर देते हैं| अत: रोगी बेचैन हो जाता है| ये पेट में वायु को बढ़ा देते हैं जिसके कारण हृदय की धड़कन बढ़ जाती है| कृमि रोग में रोगी को उबकाई आती रहती है| कई बार भोजन के प्रति अरुचि भी उत्पन्न हो जाती है| चक्कर आने लगते हैं तथा प्यास अधिक लगती है|

राह चलते किसी सेठ की मुलाकात एक साधू से हुई| बातों ही बातों में सेठ ने कहा, ‘महाराज, मेरे जीवन में उपभोग की सभी वस्तुएँ हैं मगर सुख नहीं है|’ साधु ने मुस्कुराकर पूछा, ‘कैसा सुख चाहते हो? क्या तुम्हें वास्तव में सुख की तलाश है?’

किसी सरोवर में अनागत विधाता, प्रत्युत्पन्नमति और यद्भविष्य नामक तीन मत्स्य रहते थे| एक दिन की बात है कि उस तालाब की ओर से कुछ मछुआरे निकले और उसमें देखकर कहने लगे|