धर्म और मानवता
एक राजा बहुत धार्मिक प्रवृत्ति का था| धर्म के प्रचार के लिए उसने एक नियम बना रखा था| उसके महल के सामने उपवन में हर रोज शाम को धर्मसभाओं का आयोजन होता था|
एक राजा बहुत धार्मिक प्रवृत्ति का था| धर्म के प्रचार के लिए उसने एक नियम बना रखा था| उसके महल के सामने उपवन में हर रोज शाम को धर्मसभाओं का आयोजन होता था|
एक वैद्य था| वह अपने साथ एक आदमी को रखता था| एक दिन वे एक गाँव से रवाना हुए तो किसी बात को लेकर वैद्य ने उस आदमी की ताड़ना की-‘अरे, तू जानता नहीं, पहले तू कैसा था? तू तो गधा था|
जगजननी जय! जय! माँ! जगजननी जय! जय!
भयहारिणी, भवतारिणी, भवभामिनि जय जय। जगजननी ..
Sanjaya said, “Then when the blare of conchs and the peal of drums becamevery loud, those two foremost of men, both owning white steeds, thesuta’s son Vikartana and Arjuna, encountered each other in consequence, Oking, of thy son’s evil policy.
किसी जलाशय में कम्बुग्रीव नाम का एक कछुआ रहता था| उस सरोवर के तट पर निवास करने वाले संकट और विकट नाम के दो हंसों का उसके प्रति बड़ा स्नेह था|
“Yudhishthira said, ‘After the Rishi had disappeared, what did the kingdo and what also did highly-blessed spouse do? Tell me this, O grandsire!’
“Bhishma said, ‘The king, having entered that large forest, came upon anasylum of ascetics.