गरीब का पुण्य
गुजरात की राजमाता मीणलदेवी सदा दान-परोपकार में लगी रहती थी| वह एक बार सोमनाथ जी का दर्शन करने गई| अपने साथ वह सवा करोड़ सोने की मोहरें ले गई थी| उन्होंने वहाँ जाकर अपने भार का स्वर्ण तुला दान करवाया|
गुजरात की राजमाता मीणलदेवी सदा दान-परोपकार में लगी रहती थी| वह एक बार सोमनाथ जी का दर्शन करने गई| अपने साथ वह सवा करोड़ सोने की मोहरें ले गई थी| उन्होंने वहाँ जाकर अपने भार का स्वर्ण तुला दान करवाया|
“Yudhishthira said, ‘O grandsire, O thou of great wisdom, O thou that areconversant with every kind of scripture, tell me what the merit is of onewho cherishes a suppliant that craves for protection.’
एक जिज्ञासु था। उसके मन में कई तरह के प्रश्न उठते थे। जिनके समाधान के लिए वह इस संत के पास तो कभी उस महात्मा के पास जाया करता था।
“Sanjaya said, ‘Upon the fall of Drona, O king, the Kurus, afflicted withweapons, deprived of their leader, broken and routed, became filled withexertion, and deprived of energy through grief.
गौरैया चिड़िया का एक जोड़ा पीपल के पेड़ में घोंसला बनाकर रहता था| नर गौरैया अपनी मादा से बहुत प्यार करता था|
इस विश्व-विख्यात फल की पैदावार विशेषकर पहाड़ी प्रदेशों में होती है| मुख्यत: यह हरा, पीला, लाल और सफेद रंग का होता है| इसका स्वाद मीठा होता है और इसकी तासीर ठंडी होती है|
“Vaisampayana said, ‘Thus addressed by Yudhishthira Susarman wasoverwhelmed with shame and hung down his head. And liberated (fromslavery), he went to king Virata, and having saluted the monarch, tookhis departure.