Home2011October (Page 37)

गुजरात की राजमाता मीणलदेवी सदा दान-परोपकार में लगी रहती थी| वह एक बार सोमनाथ जी का दर्शन करने गई| अपने साथ वह सवा करोड़ सोने की मोहरें ले गई थी| उन्होंने वहाँ जाकर अपने भार का स्वर्ण तुला दान करवाया|

एक जिज्ञासु था। उसके मन में कई तरह के प्रश्न उठते थे। जिनके समाधान के लिए वह इस संत के पास तो कभी उस महात्मा के पास जाया करता था।

इस विश्व-विख्यात फल की पैदावार विशेषकर पहाड़ी प्रदेशों में होती है| मुख्यत: यह हरा, पीला, लाल और सफेद रंग का होता है| इसका स्वाद मीठा होता है और इसकी तासीर ठंडी होती है|