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काशी में पावन सलिला गंगा के तट पर एक मुनि का बहुत बड़ा आश्रम था| उसमें रहकर अनेक शिष्य वेद-वेदांग की शिक्षा ग्रहण करते थे| शिष्य में एक का नाम दुष्कर्मा था| वह सब शिष्यों में सबसे ज्यादा आज्ञाकारी, समझदार और दयालु प्रवृति का था|

मूंगफली और चना का एक योग है| यह देश भर में सर्वत्र खाने के काम में लिया जाता है| बच्चों का यह मुख्य खाद्य है| यह प्यास को बुझाता है| सौन्दर्यवर्धक व बलवर्धक है| रक्त को भी यह साफ करता है, तथा जुकाम को दूर कर गले को सुरीला बनाता है| पेट के कृमियों को नष्ट करता है| यह एक ऐसा अनाज है जो अकेला ही भोजन के सारे खाद्य पदार्थों की पूर्ति कर देता है| विभिन्न प्रकार के रोगों में भी यह लाभकारी है|

खिरनी स्वाद में मीठी होती है, किन्तु इसकी तासीर ठंडी होती है| यह अत्यंत वीर्यवर्धक, शक्तिवर्धक, चिकनी, शीतल और भारी होती है, तथा प्यास, मूर्च्छा, मद, तीनो दोषों तथा रक्त-पित्त नाशक होती है|

एक फकीर श्मशान में बैठा था। थोड़ी देर बाद वहां दो अलग-अलग समूहों में कुछ लोग मृत देह लेकर आए और चिता सजाकर उन्हें अग्नि को समर्पित कर दिया। जब चिताएं ठंडी हो गईं तो लोग वहां से चले गए। तब वह फकीर उठा और अपने हाथों में दोनों चिताओं की राख लेकर बारी-बारी से उन्हें सूंघने लगा। लोगों ने आश्चर्य से उसके इस कृत्य को देखा और उसे विक्षिप्त समझा। एक व्यक्ति से रहा नहीं गया।

कांचीपुर में वज्र नामक एक चोर था| उस चोर का यह नाम विशेष सार्थक था| किसी की सम्पत्ति चुराने पर उसके स्वामी को जो कष्ट होता है, उसे सहृदय व्यक्ति ही आँक सकता है| चोर का हृदय वस्तुतः वज्र का बना होता है|