अध्याय 239
1 [वै]
परायॊपविष्टं राजानं दुर्यॊधनम अमर्षणम
उवाच सान्त्वयन राजञ शकुनिः सौबलस तदा
1 And Abram went up out of Egypt, he, and his wife, and all that he had, and Lot with him, into the South.
‘”Janaka said, O holy one, it has been said that the relation betweenmale and female is like that which subsists between the Indestructibleand the destructible (or Purusha and Prakriti). Without a male, a femalecan never conceive. Without a female a male also can never create form.
1 [बराह्मण]
अमर्षी दरुपदॊ राजा कर्मसिद्धान दविजर्षभान
अन्विच्छन परिचक्राम बराह्मणावसथान बहून
रानी अपने पुत्र को बांहों में उठाकर श्मशान में पहुंची| वंहा पहुंचकर उसके सामने यह समस्या पैदा हो गई कि वह अपने पुत्र का शवदाह कैसे करे| विवश होकर उसने अपनी आधी साड़ी फाड़ी और उसी में अपने पुत्र का शव लपेटकर चिता की ओर बढ़ी|
एक बार की बात है, एक राजा अपने देश के पड़ोस में सैर के लिए निकला | उसने देखा वहां की धरती बहुत उपजाऊ थी, चारों ओर फसलें लहलहा रही थीं | राजा मन में सोचने लगा कि कितना अच्छा होता यदि वह सुंदर और उपजाऊ क्षेत्र उसके राज्य में होता और वह उसका मालिक होता |
ॐ ग्लां ग्लीं ग्लूं गं गणपतये नम :
प्रकाशय ग्लूं गलीं ग्लां फट् स्वाहा||
“Vaisampayana said, ‘After the death of that deer, king Pandu with hiswives was deeply afflicted and wept bitterly. And he exclaimed, ‘Thewicked, even if born in virtuous families, deluded by their own passions,become overwhelmed with misery as the fruit of their own deeds.