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एक बार भरत, लक्ष्मण और शत्रुध्न-तीनों भाइयों ने माता सीता जी से मिलकर विचार किया कि हनुमान जी हमें रामजी की सेवा करने का मौका ही नहीं देते, पूरी सेवा अकेले ही किया करते हैं| अतः अब रामजी की सेवा का पूरा काम हम ही करेंगे, हनुमान जी के लिए कोई भी काम नहीं छोड़ेंगे| ऐसा विचार करके उन्होंने सेवा का पूरा काम आपस में बाँट लिया|