अध्याय 350
1 [बराह्मण]
विवस्वतॊ गच्छति पर्ययेण; वॊढुं भवांस तं रथम एकचक्रम
आश्चर्यभूतं यदि तत्र किं चिद; दृष्टं तवया शंसितुम अर्हसि तवम
1 [बराह्मण]
विवस्वतॊ गच्छति पर्ययेण; वॊढुं भवांस तं रथम एकचक्रम
आश्चर्यभूतं यदि तत्र किं चिद; दृष्टं तवया शंसितुम अर्हसि तवम
सुपारी भोजन के बाद मुख-शुद्धि के रूप में ली जाती है| यह मुख-शुद्धि के अतिरिक्त मसूड़ों को भी दृढ़ करती है, ओत दांतों के मल को दूर करती है| सुपारी का सेवन करने से वातवाहिनियां सबल बनती हैं|
“Narada continued, ‘Here is that spacious and celebrated city of cities,called Hiranyapura, belonging to the Daityas and Danavas, possessing ahundred diverse kinds of illusion.
“Vaisampayana said, ‘Then those youthful princes adorned with ear-rings,vying with one another and each regarding himself accomplished in armsand gifted with might, stood up brandishing their weapons. Andintoxicated with pride of beauty, prowess, lineage, knowledge, wealth,and youth, they were like Himalayan elephants in the season of rut withcrowns split from excess of temporal juice.
“Narada said, ‘Mandhatri’ the son of Yuvanaswa, O Srinjaya, we hear, fella prey to death. That king vanquished the gods, the Asuras and men.
“Lomasa said, ‘When Ilwala learnt that those kings along with the greatRishi had arrived on the confines of his domain, he went out with hisministers and worshipped them duly.
कीड़े-मकोड़े के काटने पर दंशित स्थान को छूना अथवा नाखून आदि से खुजलाना नहीं चाहिए| इससे विषक्रमण बढ़ जाने की संभावना होती है| इसका उपचार यथाशीघ्र करने का प्रयास करना चाहिए|
मैं से बड़ी और कोई भूल नहीं। प्रभु के मार्ग में वही सबसे बड़ी बाधा है। जो उस अवरोध को पार नहीं करते, सत्य के मार्ग पर उनकी कोई गति नहीं होती।
आंतरिक क्षमताओं की तुलना में यह बादाम के समकक्ष होता है, तथा मानसिक तनाव से मुक्ति दिलाने वाला है| यह हृदय और आमाशय को बलिष्ठ बनाता है| रक्त=विकार में अमृत-तुल्य है| भारी, गर्म बल और वीर्य को बढ़ाता है एवं स्वादिष्ट, पौष्टिक एवं सुगंधित होता है|