Home2011February (Page 14)

एक फूल को मे प्रेम करता हूँ, इतना प्रेम करता हूँ की मुझे डर लगता है कि कही सूरज की रोशनी मे कुम्हला न जाए, मुझे डर लगता है की कही जोर की हवा आए तो इसकी पंखुडिया गिर न जाए | मुझे डर लगता है की कोई जानवर आकर इसे चर न जाए| मुझे डर लगता है की पडोसी के बच्चे इसको उखाड़ न ले, अतः मे फूलो के पोधे को मय गमले के तिजोरी मे बंद करके ताला लगा देता हूँ | प्रेम तो मेरा बहुत है, लेकिन करुणा मेरे पास नही हैं|

बीरबल से जलने वाले बहुत थे| एक बार किसी ईर्ष्यालु ने चौराहे पर एक कागज चिपका दिया| उसमें शुरू से आखिर तक बीरबल कोसा गया था| उस पर हर आने-जाने वाले की नजर पड़ती थी|

भूमिका:

भक्तों की महिमा अनन्त है| हजारों ही ऐसे भक्त हैं जिन्होंने परमात्मा का नाम जप कर भक्ति करके संसार में यश कमाया| ऐसे भक्तों में “सैन भगत जी” का भी नाम आता है|