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[su_box title="सुन्दरकाण्ड - दोहा 51" box_color="#ed3b5b" radius="8"] सकल चरित तिन्ह देखे धरें कपट कपि देह। प्रभु गुन हृदयँ सराहहिं सरनागत पर नेह॥51॥ व्याख्या: कपटसे वानरका शरीर धारणकर उन्होंने सब लीलाएँ देखीं| वे अपने हृदयमें प्रभुके गुणोंकी और शरणागतपर उनके स्नेहकी सराहना करने लगे||51||   प्रगट बखानहिं राम सुभाऊ। अति सप्रेम गा बिसरि

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सुन्दरकाण्ड - श्लोक 1

शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदं
ब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम् ।

श्लोक – कुन्देन्दीवरसुन्दरावतिबलौ विज्ञानधामावुभौ

शोभाढ्यौ वरधन्विनौ श्रुतिनुतौ गोविप्रवृन्दप्रियौ।