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उस समय तक शिरडी गांव की गिनती पिछड़े हुए गांवों में हुआ करती थी| उस समय शिरडी और उसके आस-पास के लगभग सभी गांवों में ईसाई मिशनरियों ने अपने पैर मजबूती से जमा लिये थे|

नैनीताल में, नैनी झील के उत्त्तरी किनारे पर नैना देवी मंदिर स्थित है। 1880 में भूस्‍खलन से यह मंदिर नष्‍ट हो गया था। बाद में इसे दुबारा बनाया गया। यहां सती के शक्ति रूप की पूजा की जाती है। मंदिर में दो नेत्र हैं जो नैना देवी को दर्शाते हैं। नैनी झील के बारें में माना जाता है कि जब शिव सती की मृत देह को लेकर कैलाश पर्वत जा रहे थे, तब जहां-जहां उनके शरीर के अंग गिरे वहां-वहां शक्तिपीठों की स्‍थापना हुई। नैनी झील के स्‍थान पर देवी सती के नेत्र गिरे थे। इसीसे प्रेरित होकर इस मंदिर की स्‍थापना की गई है।