Homeतिलिस्मी कहानियाँ04 – राजा की बेटी | Raja ki Beti | Tilismi Kahaniya

04 – राजा की बेटी | Raja ki Beti | Tilismi Kahaniya

घर वापस आते समय बहुत तेज तूफान आ जाता है और सभी लोग घबरा जाते हैं।

जयदेव: “अरे दोस्तों जल्दी चलो हमें इस चिड़िया को बचाना होगा और इससे पूछना होगा कि यह यहां पर क्या करने आई है!”

विदुषी: “बड़ी मुश्किल हो रही है तूफान मे। हमें कैसे भी कर के उस नीली चिड़िया को बचाकर करण के घर ले जाना होगा और मुझे तो डर है कि कहीं इस चिड़िया को कुछ हो तो नहीं गया।”

लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं होता है और थोड़ी ही देर बाद इस सुनहरी चिड़िया को होश आ जाता है।

घर ले जाकर सबसे पहले उसको पानी पिलाते हैं और खाने के लिए कुछ मटर के दाने देते हैं। मटर के दाने देखकर टॉबी भी खाने के लिए करण से मांगता है, वो अपनी पूछ हिलाते हुए करण की ओर देखता है और अपनी ज़िव्हा (जीभ) बाहर निकालकर उसे संकेत देता है।

करण: “हां हां! मुझे पता है, तुम्हे भी चाहिये। ये लो तुम भी खाओ टॉबी!”

वह करण को सामने देखकर काफी खुश हो जाती है।
लेकिन वह करण को चंद्रभान के नाम से बुला रही थी

चिड़िया (खुश होते हुए): “चंद्रभान, मैं अब तुम्हारे पास आ गई हूं, तुम्हें मेरी मदद करनी होगी, मेरे इस श्राप को छुड़ाने मे।”

करण: “मुझे तो कुछ भी नहीं समझ में आ रहा है। क्या कह रही हो तुम? औऱ मेरा नाम चंद्रभान नहीं है, मेरा नाम तो करण है।”

चिड़िया: “करण तुम भी मेरी ही दुनिया से आये हुए हो और तुम ही हो, जो मुझे उस श्राप से मुक्ति दिलवा सकता है। तुम्हे मेरी सहायता करनी होगी।”

करण (अचंभे में पढ़ते हुए): “लेकिन मैं ही क्यों?”

सुनहरी चिड़िया: “तुम चिंता मत करो, मैं तुम्हें सब बताती हूं। साथ ही साथ मैं तुम्हें एक ऐसे आदमी के पास भी ले कर चलूंगी जो तुम्हारी पिछले जन्म की याददाश्त को वापिस लाने में मदद करेगा।”

उस समय वहां पर करण के साथ सारे दोस्त हैं और सभी लोग उस चिड़िया की बात सुनते ही रह जाते हैं। उन सभी को तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि उसका दोस्त किसी दूसरी दुनिया से आया हुआ है वो भी- एक खास मकसद के लिए।

तो चिड़िया सबको कहानी सुनाना शुरू करती है:

करीब 1000 साल पहले एक भव्य महल में महाराजा रंजीत सिंह राज करते थे, उनकी 2 जुड़वा बेटियाँ थी। एक का नाम था राजकुमारी चंदा था और दूसरी बेटी का नाम था राजकुमारी इन्दु।

दोनों बहनों की शक्ल एकदम समान थी परंतु आदतें एक समान नहीं थीं। जहां एक ओर चंदा बहुत सीधी-सादी और दयालु किसम की लड़की थी।

वहीं दूसरी और राजकुमारी इन्दु बहुत तेज और ज्यादा बोलने वाली थी। महाराजा रणजीत सिंह के महल में सब कुछ अच्छा चल रहा था लेकिन अचानक से एक दिन उनके भव्य महल को किसी की नजर लग गई।

एक दिन राजा रंजीत सिंह के महल में मातम सा छा गया था क्योंकि उनकी सुपुत्री अर्थात महल की राजकुमारी चंदा की बेहद दर्दनाक तरीके से मौत हो गई थी।

सभा के सभी लोग सिर झुकाए हुए खड़े थे और काफी उदास दिख रहे थे। सामने राजा रंजित सिंह की पुत्री चंदा की बेजान लाश पड़ी हुई थी।

उसकी कोमल और सुंदर त्वचा बिल्कुल सिकुड़ गई थी और साथ ही साथ उसका शरीर एकदम पत्थर की तरह अकड़ा हुआ था।

उसकी आंखें और मुँह उस समय खुले हुए थे जैसे कि वह कुछ कहना चाह रही हो।

राजकुमारी इन्दु भी काफी हैरान हो जाती है कि आखिर उनकी बहन के साथ यह क्या हो गया?

राजा रंजीत सिंह (रोते हुए हे): “भगवान यह मेरी बेटी को क्या हो गया! मुझे ऐसा दिन आखिर देखना क्यों पड़ रहा है!!??? उठो बेटी! उठो!”

राजा रंजीत की पत्नी (रानी पदमा): “मेरी बेटी को किसी जादुई शक्ति के सहारे मारा गया है!..और इसके पीछे उस जादूगर का ही हाथ है! अरे मेरी फूल सी बच्ची का शरीर तो देखो, क्या हाल हो गया है, कोई कैसे किसी को इतनी बेरहमी से मार सकता है।” आप ही बताइए!! मुझे तो पक्का यकीन है कि मेरी बेटी पर जादू टोना किया गया है! जल्दी से उन महान बाबा को बुलाकर ले आओ मीना (रानी की दासी)!!!… . “

तभी महल में एक सुंदर चिड़िया उड़ती हुई आती है जो बार-बार राजकुमारी चंदा के शव के पास मंडरा रही थी। उस चिड़िया की आंखों में आंसू थे लेकिन कोई भी उसके दर्द को नहीं सुन पा रहा था और वह चिड़िया कोई और नहीं, बल्कि राजकुमारी चंदा ही थी।

तभी किसी तांत्रिक बाबा को महल में बुलाया जाता है और राजकुमारी की बेजान मृत शरीर को उसे दिखाया जाता है उसको देखकर तांत्रिक बाबा तुरंत ही सब कुछ समझ जाते है!

तांत्रिक बाबा: “राजकुमारी चंदा श्रापित है !…. इसे किसी ने श्राप दिया है कि वह जब भी सुहागरात मनाएगी तो उसी क्षण इसकी मौत हो जाएगी और राजकुमारी की आत्मा किसी चिड़िया के अंदर आ जाएगी!..”

दरअसल राजकुमारी चंदा की शादी अभी कुछ दिन पहले ही हुई थी और वह अपने पति हीरा ठाकुर के साथ अपने पिताजी के महल में आई हुई थी और तभी यह घटना उनके साथ हो गई।

जब हीरा ठाकुर को यह बात पता चली तो उनके होश ही उड़ गए और वे सोचने लगे कि अगर उन्हें यह बात पहले पता होती तो वे ऐसा कुछ भी नहीं करते!

लेकिन नियति को तो कुछ और ही इन्दुर था!

रानी पदमा: “तांत्रिक बाबा आप ही बताइए इसका कोई तोड़ है क्या?”

तांत्रिक बाबा अपनी आंखें बंद करते हैं और अपनी दिव्य शक्ति का इस्तेमाल करते हैं उस आदमी का पता लगाने के लिए जिसने यह घिनौना कार्य किया है। और जब वह अपनी आंखें बंद करते हैं तो उन्हें वही जादूगर दिखता है!

तांत्रिक बाबा: “तो क्या यहां कोई जादूगर आया था?”

रानी पदमा: “जी हां बाबा जी, मुझे तो पक्का यकीन है कि यह सब उसी जादूगर ने किया है, दरअसल 1 महीने पहले हमने अपने महल में राजकुमारी इन्दु का स्वयंवर रखा था और उस स्वयंवर में वह जादूगर भी आया था। वह जादूगर स्वयंवर में आयोजित किए गए सारे पड़ाव को जीत भी गया लेकिन राजकुमारी इन्दु को जादूगर बिल्कुल भी पसंद नहीं आया और उसने अनजाने में उस जादूगर का बहुत मजाक बनाया, साथ ही साथ उसने शादी के लिए इनकार भी कर दिया था। बस बाबाजी, मुझे लगता है कि इसी बात का बदला लिया है।”

तांत्रिक बाबा (परेशान होते हुए): “लेकिन बेटी मुझे यह बोलकर अच्छा तो नहीं लग रहा है लेकिन आपकी सुपुत्री को बचाना बिल्कुल नामुमकिन है! असम्भव है।”

अब अगले एपिसोड में हम यह जानेंगे कि क्या कोई ऐसा व्यक्ति है जो राजकुमारी पदमा और महाराजा रणजीत सिंह की इस काम मे उनकी मदद करने वाले हैं?

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05 - जादूग