Homeतिलिस्मी कहानियाँ05 – जादूगर और बाबा | Jadugar aur Baba | Tilismi Kahaniya

05 – जादूगर और बाबा | Jadugar aur Baba | Tilismi Kahaniya

बाबा रानी पदमा को बोलते हैं कि उनकी बेटी को बचाना अब बिल्कुल नामुमकिन ही है और बाबा के मुंह से यह बात सुनकर रानी पदमा को बेहोशी सी छाने लगती है तभी महाराजा रंजीत बोल उठते हैं-

महाराजा रंजीत: “बाबा जी ऐसा मत बोलिए, कोई ना कोई तो उपाय होगा? बाबा अगर क्या हो मैं उस जादूगर को ढूंढ कर मार दूं तो?”

बाबा जी (उदास होते हुए): “बेटा ऐसा करने से कुछ भी प्राप्त नहीं होगा क्योंकि वह जादूगर कोई साधारण जादूगर नहीं है बल्कि वह पहले एक तपस्वी भी रह चुका है इसीलिए उसके अंदर काफी शक्ति है। मैं उसका दिमाग पढ़ने की कोशिश कर रहा हूं लेकिन यह काम इतना आसान नहीं है पुत्र।”

रानी पदमा: “बाबा आप महान है, शक्तिशाली हैं। कृपया अपनी शक्ति का इस्तेमाल करके उस जादूगर से वार्तालाप करने की कोशिश कीजिये।”

वह अपनी आंखों को बंद कर लेते हैं और जादूगर से विभिन्न प्रकार के प्रश्न पूछने लगते हैं साथ ही साथ वह जादूगर से राजकुमारी इन्दु के किये के लिए माफी भी मांगते हैं और उस जादूगर को यह भी बताते हैं कि उसने गलती से राजकुमारी चंदा को श्राप दिया है।

जादूगर जब तांत्रिक बाबा के मुंह से यह बात सुनता है तब जाकर उसको राजकुमारी चंदा पर दया आ जाती है और वह बाबा से बहुत दूर बैठा हुआ अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करके बाबा को उस श्राप का तोड़ बता ही देता है लेकिन श्राप का तोड़ बेहद मुश्किल और खतरनाक था।

बाबा श्रॉप का तोड़ सुनकर काफी घबरा जाते हैं।

राजा रंजीत: “क्या हुआ बाबा? उसने कुछ बताया?”

बाबा: “हां बताया है बेटा!”

राजा रंजीत (रोते हुए): “तो बताइए बाबाजी, जल्दी से बताइए हमें!”

बाबा: “बेटा तुम्हारी बेटी एक नीली चिड़िया में बदल चुकी है और उसका श्राप अब 1000 साल बाद ही टूटेगा! और वह श्राप कोई और नहीं बल्कि तुम्हारे मुख्य सेनापति बलवंत वीर का बेटा चंद्रभान ही तोड़ेगा!.. बेटा साधारण सा मतलब है कि तुम्हारी बेटी का श्राप तोड़ने के लिए उसे 1000 साल तक रुकना पड़ेगा।”

उस वक्त वहां पर सेनापति बलवंत वीर भी खड़े थे और उन्हें इन सब बातों पर बिल्कुल यकीन भी नहीं हो रहा था लेकिन यही सच्चाई थी। इसी बीच रानी पदमा को होश आ जाता है, वह यह सब बातें सुन लेती हैं और फूट-फूट कर रोने लगती है। राजकुमारी इन्दु को भी अपने किए पर काफी पछतावा हो रहा था लेकिन अब काफी देर हो चुकी थी, तभी राजा रंजीत बौखला जाते हैं और गुस्से में तांत्रिक बाबा से बोलते हैं।

रंजीत: “बाबा आप बिल्कुल गलत कह रहे हैं, देखना मैं अपनी बेटी को वापस ले आऊंगा। मैं सारी नीली चिड़ियाओ को खोज लूंगा और अपने पास रख लूंगा। मैं बड़े से बड़े ज्ञानी और तांत्रिक बाबा को बुलाऊगा अपनी बेटी को श्राप मुक्त करने के लिए और साथ ही साथ उस जादूगर को भी जान से मार डालूंगा।”

तांत्रिक बाबा महाराजा रंजीत की मुंह से यह बात सुनकर काफी चिंता मे पड़ जाते हैं और उन्हें बार-बार समझाने की कोशिश करते हैं कि वह यह सब ना करें क्योंकि इन सभी चीजों से उन्हें कुछ भी नहीं मिलने वाला है और होता भी वैसा ही है, जैसा बाबा ने कहा था।

फिर भी बाबा की बात ना मानते हुए राजा ने अपने राज्य के और दूसरे राज्यों के सारे नीली पक्षियों को खरीदा और कुछ को पकड़कर अपने राज्य में रखा लेकिन उन्हें कभी इस बात का पता नहीं चल पाया कि उसमें से चंदा कौन सी चिड़िया है!!

राजा: “उस जादूगर को ढूँढो। कैसे भी कर के।”

सेनापति बलवंत: “महाराज! उस जादूगर का भी कहीं पता नहीं लगा पाए शायद वह कहीं आसमान में कहीं गायब सा हो गया। क्योंकि उस घटना के बाद से उस जादूगर को किसी ने भी राज्य में नहीं देखा था और ना ही उसकी कोई खबर लोगों को मिली थी।”

तो चिड़िया अपनी कहानी खत्म करती है, और अब सब को यह पता चल चुका था कि यह चिड़िया कौन है!

करण (अचंभे में पड़ते हुए): “तो वह चिड़िया आप ही हैं? आप ही है राजकुमारी चन्दा।”

सुनहरी नीली चिड़िया: “हां करण मैं ही राजकुमारी चंदा हूं, दरअसल उस जादूगर ने मुझे श्राप दिया था कि मैं हजार साल तक ऐसे ही रहूंगी जब तक की तुम मेरे इस श्राप को ना तोड़ दो!”

जयदेव: “लेकिन तुम बोल कैसे सकती हो?”

चिड़िया: “दरअसल भले ही मेरे पिताजी मुझे ढूंढने में नाकामयाब रहे हो लेकिन उन्होंने मेरे लिए एक बहुत ही अच्छा काम किया था। उन्होंने उसी तांत्रिक बाबा के साथ महादेव की पूजा-अर्चना कई सालों तक की जिसके बाद मुझे यह वरदान मिला कि मैं हजार साल बाद बोल सकती हूं ज़ब मुझे कोई बचाने वाला इस दुनिया में पैदा होगा! और वह कोई और नहीं बल्कि करण ही है!”

विदुषी , लव , कुश, जयदेव और करण सभी लोग एकदम अचंभे में पड़ जाते हैं!.. वे भी सभी राजकुमारी चंदा के लिए बहुत दुखी होते हैं और उनकी मदद करने की ठान लेते हैं।

करण (चिड़िया से): “तुम्हारी सहायता करने के लिए मुझे आखिर करना क्या होगा?”

चिड़िया: “करण, मैंने सुना था कि मेरी चिड़िया बनने के 500 साल बाद वह जादूगर नया रूप लेकर फिर से हमारे राज्य वाले क्षेत्र में आया था लेकिन हमारे महल में उस समय राज्य कर रहे राजा को उस जादूगर के बारे में पता चल गया और उन्होंने एक महान, तंत्रविज्ञान को जानने वाले बाबा के साथ बहुत सारी पूजा-अर्चना और महायज्ञ करवाएं जिससे एक असुर की उत्पत्ति हुई जिसका नाम वधीराज था।”

जयदेव: “असुर! क्या असुर सच मे होते हैं।”

चिड़िया: “हाँ! उसको खास उस जादूगर से लड़ने के लिए ही उत्पन्न किया गया था और उसने उसे हरा भी दिया। लेकिन वह जादूगर भी काफी शक्तिशाली है वह हर बार नया जन्म लेता है ताकि वह मुझे दिए गए श्राप की रक्षा कर सकें।”

करण: “अगर हमें वधिराज का पता चल जाए कि इस वक्त वह कहां है तो हमें यह बात अच्छे से पता चल जाएगी कि उस जादूगर का वध कैसे किया जा सकता है क्योंकि जब उसका वध होगा तभी मेरा श्राप उसी के साथ खत्म होगा!”

चिड़िया: “हां करण!”

करण: “ठीक है मैं तुम्हारी मदद करूंगा और तुम्हें जल्दी तुम्हारे श्राप से मुक्ति दिलाऊगा!”

तभी उसी बीच टॉबी वहाँ आता है और उस सुंदर चिड़िया को देखकर अपनी पूँछ हिलाने लगता है, उसे लगता है कि उसे कोई नया मित्र मिल गया है।

करण: “टॉबी! इनसे मिलो ये है राजकुमारी चंदा!”

चिड़िया उड़कर टॉबी के ऊपर बैठ जाती है और टॉबी घूमने लगता है।

तभी अचानक से पता नहीं लव को क्या हो जाता है और वह उस चिड़िया को मारने के लिए आगे बढ़ता है।

अगले एपिसोड में हम यह जानेंगे कि आखिर क्या हो गया था लव को? और क्या करण इस गुत्थी को सुलझा पाएगा?

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