HomePosts Tagged "शिक्षाप्रद कथाएँ" (Page 129)

यह कथा पुराण में आयी है| चिडियों को फँसाकर उन्हें बेचने वाला एक बहेलिया था| वह दिन भर अपना गोंद लगा बाँस लिये वन में घूमा करता था और चिडियों को फँसाया करता था|

कृतवर्मा हृदिक का पुत्र था| वह बड़ा शूरवीर था, लेकिन साथ में कुटिल और क्रूर प्रकृति का भी था| उसने कौरवों के पक्ष में खड़े होकर पाण्डवों के विरुद्ध युद्ध किया था|

मुल्ला दोप्याजा की काफी उम्र हो गई थी किन्तु उसने विवाह नहीं किया था| एक दिन बादशाह अकबर ने मुल्ला दोप्याजा से कहा -“मुल्लाजी, अब आपको शादी कर लेनी चाहिए|”

राजा विराट के पुत्र का नाम उत्तर था| वह स्वभाव से बड़ा दंभी, सदा अपने पराक्रम का बखान करने वाला था| पांडव अपने अज्ञातवास का समय विराट के यहां व्यतीत कर रहे थे, इसलिए कोई भी इस भय से कि कहीं उनके सही रूप का पता न चल जाए, उसकी बात कोई नहीं काटते थे|

एक गाँव के पास एक खेत में सारस पक्षी का एक जोड़ा रहता था| वहीं उनके अंडे थे| अंडे बढ़े और समय पर उनसे बच्चे निकले| लेकिन बच्चों के बड़े होकर उड़ने योग्य होने से पहले ही खेत की फसल पक गयी| सारस बड़ी चिंता में पड़े|

फौजिया की काफी उम्र हो गई थी और वह इस दुनिया में अकेली थी| उम्र के इस दौर में पहुंचकर उसे हज पर जाने की इच्छा हुई| अत: उसने अपने सभी गहने हजार मोहरों के दाम बेच दिए| ढाई सौ मोहरें उसने खर्च के लिए रखकर शेष साढ़े सात सौ मोहरों को एक थैली में अच्छी तरह से बन्द कर दिया तथा उसे लाख से सील कर दिया|

कर्ण की उम्र सोलह-सत्रह वर्ष की हो चुकी थी| सारे हस्तिनापुर में वह प्रसिद्ध था| घर-घर में उसके संबंध में चर्चा होती थी – अधिरथ सारथि का पुत्र बड़ा विचित्र  है|

एक बार एक सिंह के पैर में मोटा बड़ा काँटा चुभ गया| सिंह ने दाँत से बहुत नोचा; किंतु काँटा निकला नहीं| वह लँगड़ाता हुआ एक गड़रिये के पास पहुँचा| अपने पास सिंह को आते देख गड़रिया बहुत डरा|