01. आदिपर्व Share 0 अध्याय 30 1 [ग] सख्यं मे ऽसतु तवया देव यथेच्छसि पुरंदर बलं तु मम जानीहि महच चासह्यम एव च Continue reading POST TAGS: आदिपर्वमहाभारत संस्कृत
01. आदिपर्व Share 0 अध्याय 31 1 [ष] भुजंगमानां शापस्य मात्रा चैव सुतेन च विनतायास तवया परॊक्तं कारणं सूतनन्दन Continue reading POST TAGS: आदिपर्वमहाभारत संस्कृत
01. आदिपर्व Share 0 अध्याय 32 1 [ष] जाता वै भुजगास तात वीर्यवन्तॊ दुरासदाः शापं तं तव अथ विज्ञाय कृतवन्तॊ नु किं परम Continue reading POST TAGS: आदिपर्वमहाभारत संस्कृत
01. आदिपर्व Share 0 अध्याय 34 1 [स] शरुत्वा तु वचनं तेषां सर्वेषाम इति चेति च वासुकेश च वचः शरुत्वा एलापत्रॊ ऽबरवीद इदम Continue reading POST TAGS: आदिपर्वमहाभारत संस्कृत
01. आदिपर्व Share 0 अध्याय 35 1 [स] एलापत्रस्य तु वचः शरुत्वा नागा दविजॊत्तम सर्वे परहृष्टमनसः साधु साध्व इत्य अपूजयन Continue reading POST TAGS: आदिपर्वमहाभारत संस्कृत
01. आदिपर्व Share 0 अध्याय 36 1 [ष] जरत्कारुर इति परॊक्तं यत तवया सूतनन्दन इच्छाम्य एतद अहं तस्य ऋषेः शरॊतुं महात्मनः Continue reading POST TAGS: आदिपर्वमहाभारत संस्कृत
01. आदिपर्व Share 0 अध्याय 37 1 [स] एवम उक्तः स तेजस्वी शृङ्गी कॊपसमन्वितः मृतधारं गुरुं शरुत्वा पर्यतप्यत मन्युना Continue reading POST TAGS: आदिपर्वमहाभारत संस्कृत
01. आदिपर्व Share 0 अध्याय 46 1 [मन्त्रिणह] ततः स राजा राजेन्द्र सकन्धे तस्य भुजंगमम मुनेः कषुत कषाम आसज्य सवपुरं पुनर आययौ Continue reading POST TAGS: आदिपर्वमहाभारत संस्कृत
01. आदिपर्व Share 0 अध्याय 22 1 [सू] एवं सतुतस तदा कद्र्वा भगवान हरिवाहनः नीलजीमूतसंघातैर वयॊम सर्वं समावृणॊत Continue reading POST TAGS: आदिपर्वमहाभारत संस्कृत
01. आदिपर्व Share 0 अध्याय 27 1 [ष] कॊ ऽपराधॊ महेन्द्रस्य कः परमादश च सूतज तपसा वालखिल्यानां संभूतॊ गरुडः कथम Continue reading POST TAGS: आदिपर्वमहाभारत संस्कृत