झगड़ालू प्रव्रत्ति – शिक्षाप्रद कथा
एक बार एक बहेलिए ने एक फाख्ता अपने जाल में फंसाई| वह उसे अपने घर लाया और उसे अपनी मुर्गियों के साथ रख दिया| अपने बीच एक अजनबी और नई चिड़िया देखकर सभी मुर्गियां फाख्ता को परेशान करने लगीं और उसे चोंचें मारने लगीं|
एक बार एक बहेलिए ने एक फाख्ता अपने जाल में फंसाई| वह उसे अपने घर लाया और उसे अपनी मुर्गियों के साथ रख दिया| अपने बीच एक अजनबी और नई चिड़िया देखकर सभी मुर्गियां फाख्ता को परेशान करने लगीं और उसे चोंचें मारने लगीं|
किसी गांव में एक व्यक्ति रहता था| वह शिकार खेलने का बेहद शौकीन था| इसके लिए उसने दो कुत्ते पाल रखे थे| एक कुत्ते को उसने बाकायदा शिकार करने का प्रशिक्षण भी दिलवाया था| दूसरे कुत्ते को वह घर की रखवाली के लिए रखे हुए थे|
किसी गांव में एक धनी व्यक्ति रहता था| उसके पास अनगिनत भेड़ें थीं| उसने अपनी भेड़ें चराने के लिए एक व्यक्ति को नौकर रखा हुआ था| एक बार उस धनी व्यक्ति को ऐसे स्थान पर जाना पड़ा, जहां समुद्र था| वह समुद्र के किनारे तट पर बैठ गया| सुबह का समय था और समुद्र भी शांत था|
एक बार दो पालतू मुर्गे आपस में लड़ने लगे| दोनों ही अपने-अपने क्षेत्रों पर राजा के समान अपना अधिकार जमाना चाहते थे| झगड़ा इतना बढ़ा कि दोनों बहुत बुरी तरह आपस में गुंथ गए| दोनों ही अपने नुकीले पंजों से एक-दूसरे का पेट फाड़ देना चाहते थे|
एक बार एक शिकारी किसी घने जंगल से होकर गुजर रहा था| उसके पास बंदूक भी थी| जब वह जंगल के भीतर गया तो उसने पेड़ की एक डाल पर एक कबूतर बैठा देखा|
किसी किसान के बाग में शरीफे का एक पेड़ था| उस पेड़ पर अत्यन्त स्वादिष्ट फल लगते थे| एक दिन वह जमींदार के पास उसे खुश करने के लिए कुछ शरीफे ले गया| जमींदार ने शरीफे खाए तो बहुत प्रसन्न हुआ| फल उसे इतने पसन्द आए कि उसने निश्चय कर लिया कि वह उस पेड़ को हथिया लेगा|
एक कौआ कहीं से उड़ता हुआ आया और मैदान में चरती हुई एक बकरी की पीठ पर बैठ गया| बकरी ने कौए की अनदेखी कर दी और उससे अपनी पीठ पर से हट जाने के लिए नहीं कहा| अब तो कौए की हिम्मत बढ़ गई| उसने बकरी की पीठ पर चोंच मारनी आरम्भ कर दी|
किसी पेड़ पर एक तोता और उसकी मां रहते थे| उसी पेड़ पर एक गौरेया आती-जाती थी| उसने तोते से मित्रता भी कर ली थी| तोता गौरेया की चहचहाहट सुनकर बहुत प्रसन्न होता| एक दिन वह अपनी मां से बोला – “यह गौरेया कितनी अच्छी है|
एक बार एक बकरा-बकरी जब चरने के लिए जाने लगे तो बकरे ने अपने बच्चों से कहा कि जब वह शाम को वापस आएं और जब मैं ऐसे कहूं – “बोनी, टोनी, पिंकी, मिंकी! दरवाजा खोलो| मैं तुम्हारे लिए भोजन लाया हूं| तभी दरवाजा खोलना|” यह कहकर वह किसी हरे-भरे जंगल में चले गए|
एक घोड़ा पानी पीने के लिए नदी पर गया| उस समय नदी में एक जंगली सुअर स्नान कर रहा था| घोड़ा पानी पीने ही वाला था कि सुअर जोर से चिल्लाया – “अरे ओ मुर्ख! तुम इस नदी से पानी नहीं पी सकते| यह नदी मेरी है|”