अमीना की कहानी (अलिफ लैला) – शिक्षाप्रद कथा
“जहांपनाह! मेरी मां मुझे लेकर अपने घर में आई ताकि उसे अकेलापन न खले, फिर उसने मेरा विवाह इसी नगर के बड़े आदमी के बेटे के साथ कर दिया|
“जहांपनाह! मेरी मां मुझे लेकर अपने घर में आई ताकि उसे अकेलापन न खले, फिर उसने मेरा विवाह इसी नगर के बड़े आदमी के बेटे के साथ कर दिया|
युवक बोला, “मेरे पिता इस नगर के बादशाह थे| उनका राज्य बड़ा विस्तृत था| किंतु बादशाह और उसके सभी अधीनस्थ लोग अग्निपूजक थे|
जुबैदा ने खलीफा के सामने सिर झुकाकर निवेदन किया, “हे आलमपनाह! मेरी कहानी बड़ी ही विचित्र है, आपने अभी तक इस प्रकार की कोई कहानी नहीं सुनी होगी|
मेरा नाम अजब है और मैं महाऐश्वर्यशाली बादशाह किसब का बेटा हूं| पिता के स्वर्गवास के बाद मैं सिंहासनारूढ़ हुआ और उसी नगर में रहने लगा, जिसे मेरे पिता ने अपने राजधानी बनाया था|
किसी नगर में एक भला आदमी रहता था| उसका पड़ोसी उसके प्रति ईर्ष्या और द्वेष रखता था|
मैं एक बड़े राजा का पुत्र हूं| बचपन से ही मेरी विद्यार्जन में गहरी रुचि थी| मेरे पिता ने दूर-दूर से प्रख्यात शिक्षक बुलाकर मेरी शिक्षा के लिए रखे|
मैं एक बड़े बादशाह का बेटा हूं| मेरा चाचा भी एक समीपवर्ती राज्य का स्वामी था| मेरे चाचा का एक बेटा मेरी उम्र का था और उसकी दूसरी संतान एक पुत्री थी|
खलीफा फारुन-अल-रशीद के शासन में बगदाद में एक मजदूर रहता था| वह बड़ा हंसमुख और बातूनी था|
फिर वह युवक बादशाह को अपनी आपबीती सुनाने लगा, “मेरे पिता का नाम महमूद शाह था| वे काले द्वीपों के बादशाह थे| वे काले द्वीप चार विख्यात पर्वत हैं|
मछुवारा यह कहानी सुनाकर दैत्य से कहने लगा, “यदि गरीक बादशाह हकीम दूबां की हत्या न करता, तो भगवान उसे ऐसा दंड न देता|