HomePosts Tagged "शिक्षाप्रद कथाएँ" (Page 150)

तुलसी से जुड़ी एक कथा बहुत प्रचलित है। श्रीमद देवि भागवत पुराण में इनके अवतरण की दिव्य लीला कथा भी बनाई गई है। एक बार शिव ने अपने तेज को समुद्र में फैंक दिया था। उससे एक महातेजस्वी बालक ने जन्म लिया। यह बालक आगे चलकर जालंधर के नाम से पराक्रमी दैत्य राजा बना। इसकी राजधानी का नाम जालंधर नगरी था।

बादशाह अकबर को बीरबल से मजाक करने की सूझी| उन्होंने एक दांता बनवाया और उसे इस तरह का रूप दिया कि पता न चले कि वह दांता है, और जो भी उसमें हाथ डाले उसका हाथ फंस जाए| बादशाह ने उसमें एक सेब रख दिया|

रत्नापुरी के राजा चन्द्रभान के बड़े पुत्र राजकुमार ने अपने मनोरंजन के लिए वानरों की टोली और पीछे राजकुमार ने भेड़ों का झुंड पाल रखा था| वानर तो राजउधान में पेड़ों के फल खाकर सुखी जीवन व्यतीत कर रहे थे किन्तु भेड़ें प्रायः अवसर पाकर राजमहल के भोजनालय में घुस जाती और जो कुछ हाथ लगता, खा जाती|

यह कथा द्वापरयुग की है जब भगवान श्रीकृष्ण के सुदर्शन चक्र ने काशी को जलाकर राख कर दिया था। बाद में यह वाराणसी के नाम से प्रसिद्ध हुआ। यह कथा इस प्रकार हैः

नमक के एक व्यापारी के पास एक गधा था| वह नित्य ही प्रातःकाल उस पर नमक की बोरियाँ लादकर निकटवर्ती कस्बों में बेचने निकल जाया करता था| वहाँ तक जाने के लिए उसे कई छोटी-मोटी नदियाँ और नाले पार करने पड़ते थे|

एक बार भगवान नारायण वैकुण्ठलोक में सोये हुए थे। उन्होंने स्वप्न में देखा कि करोड़ों चन्द्रमाओं की कांतिवाले, त्रिशूल-डमरू-धारी, स्वर्णाभरण-भूषित, सुरेन्द्र-वन्दित, सिद्धिसेवित त्रिलोचन भगवान शिव प्रेम और आनन्दातिरेक से उन्मत्त होकर उनके सामने नृत्य कर रहे हैं।

बादशाह अकबर और बीरबल महल में यमुना नदी को निहार रहे थे| वर्षा के मौसम में नदी अपने पूरे उफान पर थी| इसी उफान के कारण बहाव से जो आवाज आ रही थी, उससे ऐसा लग रहा था मानो नदी रो रही है|

एक घोबी था| उसके पास एक घोड़ा और एक गधा था| एक दिन वह दोनों को बाज़ार लेकर जा रहा था| उस दिन धूप बहुत तेज़ थी| घोबी ने गधे की पीठ पर कपड़ों के बड़े-बड़े गट्ठर लाद रखे थे, जबकि घोड़े की पीठ पर कुछ नही था|

पृथु एक सूर्यवंशी राजा थे, जो वेन के पुत्र थे। वाल्मीकि रामायण में इन्हें अनरण्य का पुत्र तथा त्रिशंकु का पिता कहा गया है। ये भगवान विष्णु के अंशावतार थे। स्वयंभुव मनु के वंशज अंग नामक प्रजापति का विवाह मृत्यु की मानसी पुत्री सुनीथा से हुआ था।