HomePosts Tagged "शिक्षाप्रद कथाएँ" (Page 152)

कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा यानी दीपावली का अगला दिन गोवर्धन पूजन, गौ पूजन के साथ-साथ अन्नकूट पर्व भी मनाया जाता है। अन्नकूट पूजा में भगवान विष्णु अथवा उनके अवतार और अपने इष्ट देवता का इस दिन विभिन्न प्रकार के पकवान बनाकर पूजन किया जाता हैं।

भारत त्यौहारों का देश है। विभिन्न त्यौहारों पर अलग-अलग पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. इसी प्रकार धनतेरस पर भी यमराज की एक कथा बहुत प्रचलित है। कथा कुछ इस प्रकार है।

अमरुद के एक पेड़ पर तोता-मैना का जोड़ा रहता था| उसी पेड़ की जड़ में एक बूढ़ा साँप भी रहता था| साँप बहुत ही कमज़ोर हो गया था| कई बार तो वह अपने भोजन की तलाश में भी नही जा पाता था| इसलिए तोता ही उसके लिए भोजन जुटाकर उसके बिल के पास रख देता था| साँप भी जानता था कि तोता उसका ख्याल रखता है|

बडे़ होने पर कृष्ण ने कंस का वध किया, नाना उग्रसेन को गद्दी पर बैठाया, देवकी के मृत पुत्रों को लेकर आए और माता-पिता को कारागार से मुक्ति दिलाई। कन्हैया के मित्र तो गोकुल के सभी बालक थे, लेकिन सुदामा उनके कृपापात्र रहे। अकिंचन सुदामा को वैभवशाली बनाने में दामोदर ने कोई कसर बाकी नहीं रखी। श्रीकृष्ण के जीवन में राधा प्रेम की मूर्ति बनकर आईं। जिस प्रेम को कोई नाप नहीं सका, उसकी आधारशिला राधा ने ही रखी थी।

अकबर ने बीरबल का मजाक बनाने के उद्देश्य से महल के बाहर बने एक हौज में 20 अंडे डलवा दिए और 20 ही दरबारियों को वहां खड़ा करके हुक्म दिया – “एक-एक कर कूदो और एक-एक अंडा निकाल लो|”

एक बार राजा पुरंजय ने राजसूय यज्ञ का आयोजन किया। इसमें दूर-दूर से ऋषि-मुनि बुलाए गए। यज्ञ प्रजा की सुख-शांति के लिए किया जा रहा था। राजा पुरंजय अत्यंत प्रजावत्सल थे। उनके राज्य में जो भी कार्य किए जाते, वे प्रजा के हितों को ध्यान में रखकर ही किए जाते थे। सभी आमंत्रित ऋषि-मुनियों का राजा ने यथोचित सत्कार किया। तत्पश्चात यज्ञ आरंभ हो गया।