उपकार – शिक्षाप्रद कथा
अफ्रीका बड़ा भारी देश है| उस देश में बहुत घने वन हैं और उन वनों में सिंह, भालू, गैंडा आदि भयानक पशु बहुत होते हैं| बहुत-से लोग सिंह का चमड़ा पाने के लिये उसे मारते हैं|
अफ्रीका बड़ा भारी देश है| उस देश में बहुत घने वन हैं और उन वनों में सिंह, भालू, गैंडा आदि भयानक पशु बहुत होते हैं| बहुत-से लोग सिंह का चमड़ा पाने के लिये उसे मारते हैं|
शेरकी गुफा थी| खूब गहरी, खूब अँधेरी| उसी में बिल बनाकर एक छोटी चुहिया भी रहती थी| शेर जो शिकार लाता, उसकी बची हड्डियों में लगा मांस चुहिया के लिये बहुत था|
हुए न सांगची लाऊ, यही नाम था उसका| पिता उसे सांग कहते थे| जी चाहे तो आप भी इसी नामसे पुकारिये| उसका पिता शिकारी था|
वह शिकार खेलने गया था| लम्बी मारकी बंदूक थी और कन्धे पर कारतूसों की पेटी पड़ी थी| सामने ऊँचा पर्वत दूर तक चला गया था|
एक बाजार में एक तोता बेचनेवाला आया| उसके पास दो पिंजड़े थे| दोनों में एक-एक तोता था| उसने एक तोते का मूल्य रखा था-पाँच सौ रुपये और एक का रखा था पाँच आने पैसे|
अपने देश में ऐसे बहुत-से नगर और गाँव हैं, जहाँ बहुत थोड़े पेड़ हैं| यदि वहाँ गाय-बैल भी कम हों और गोबर थोड़ा हो तो रसोई बनाने के लिये लकड़ी या उपले बड़ी कठिनाई से मिलते हैं|
एक ब्राह्मण देवता थे| बड़े गरीब और सीधे थे| देश में अकाल पड़ा| अब भला ब्राह्मण को कौन सीधा दे और कौन उनसे पूजा-पाठ करावे|
एक बहेलिया था| चिड़ियों को जाल में या गोंद लगे बड़े भारी बाँस में फँसा लेना और उन्हें बेच डालना ही उसका काम था|
एक दिन एक ऊँट किसी प्रकार अपने मालिक से नकेल छुड़ाकर भाग खड़ा हुआ| वह भागा, भागा और सीधे पश्चिम भागता गया, वहाँ तक जहाँ रास्ते में एक नदी आ गयी|