Homeघरेलू नुस्ख़ेबीमारीयों के लक्षण व उपचारधात दुर्बलता के 10 घरेलु उपचार – 10 Homemade Remedies for Dhatt Weakness

धात दुर्बलता के 10 घरेलु उपचार – 10 Homemade Remedies for Dhatt Weakness

इस रोग में धातु क्षीणता के कारण व्यक्ति जल्दी स्खलित हो जाता है| ऐसे रोगी का वीर्य पतला होता है| इसके शिश्न में बहुत कम उत्थान हो पाता है|

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धातु दुर्बलता से छुटकारा पाने के लिए कामोत्तेजक खाद्य पदार्थों-लहसुन, मांस, मदिरा, चाय, कॉफी, अधिक मिर्च-मसाले वाली वस्तुएं आदि का उपयोग तत्काल कम कर देना चाहिए|

 

 

धात दुर्बलता के 10 घरेलु नुस्खे इस प्रकार हैं:

1. गिलोय और शहद

धातु पुष्ट करने के लिए गिलोय का दो चम्मच रस शहद के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम चाटें|


2. आंवला और शहद

दो चम्मच आंवले का रस सुबह बिना कुछ खाए-पिए शहद के साथ सेवन करें|


3. तुलसी और मिश्री

3 ग्राम तुलसी के बीज में मिश्री मिलाकर प्रतिदिन दोपहर के भोजन के बाद खाएं|


4. सफेद मूसली, मिश्री और गाय का दूध

10 ग्राम सफेद मूसली के चूर्ण में मिश्री मिलाकर खाएं| ऊपर से आधा किलो गाय का दूध पिएं|


5. उरद और घी

उरद की दाल का चूर्ण घी में भूनकर उसमें खांड़ मिलाकर खाएं|


6. पपीता

नियमित रूप से रोज 100 ग्राम पपीते का रस पीने से वीर्य पुष्ट होता है|


7. गोमूत्र और त्रिफला

दो चम्मच गोमूत्र में एक चम्मच त्रिफला का चूर्ण मिलाकर सेवन करें|


8. इलायची, बादाम, जावित्री, शक्कर और मक्खन

इलायची के दाने, बादाम की गिरी, जावित्री तथा मक्खन – सबको शक्कर के साथ खाने से धातु पुष्ट होती है|


9. लहसुन और दूध

प्रतिदिन निहार मुंह लहसुन की दो कलियों का सेवन दूध के साथ करें|


10. आंवला और दूध

5 ग्राम आंवले का चूर्ण सुबह और 5 ग्राम शाम को दूध के साथ लें|

 

धात दुर्बलता का कारण

अत्यधिक चिन्ता, शोक, मानसिक अशान्ति आदि कारणों से मनुष्य के शरीर में धातु या वीर्य क्षीण हो जाता है| इसके अलावा दिमागी कमजोरी, पौष्टिक भोजन, फल, दूध, मेवा आदि की कमी के फलस्वरूप व्यक्ति के शरीर के मांस, मेद, अस्थि, मज्जा आदि उचित मात्रा में नहीं बन पाते| अन्त में यही वीर्य की कमजोरी का कारण बन जाते हैं|

धात दुर्बलता की पहचान

धातु या वीर्य दुर्बलता के कारण शारीरिक और मानसिक कमजोरी दिखाई देने लगती है| शरीर में तरह-तरह के रोग पैदा हो जाते हैं| इसके साथ-साथ उदासी, आलस्य, अंगों का कांपना, थकावट, अप्रसन्नता, काम में मन न लगना, पेट के रोग, स्नायु दुर्बलता, श्वास, खांसी, शिश्न में कमजोरी आदि लक्षण मालूम पड़ते हैं|

NOTE: इलाज के किसी भी तरीके से पहले, पाठक को अपने चिकित्सक या अन्य स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता की सलाह लेनी चाहिए।

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