Homeआरती संग्रहश्री गौरी अम्बे जी की आरती – Shri Gori Ambey Ji Ki Aarti

श्री गौरी अम्बे जी की आरती – Shri Gori Ambey Ji Ki Aarti

श्री गौरी अम्बे जी की आरती - Shri Gori Ambey Ji Ki Aarti

हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी दुर्गा जी को सबसे शक्तिशाली देवी माना गया है| देवी दुर्गा , परमेश्वर ब्रह्मा (निर्माता) , विष्णु ( रक्षक ), और शिव ( विनाशक ) के संयुक्त ऊर्जा से उभरी है, राक्षस महिषासुर से युद्ध करने के लिए , कथा के अनुसार राक्षस महिषासुर को वरदान दिया गया था की वह और इंसान और भगवान द्वारा नहीं मारा जा सकता। यहां तक कि ब्रह्मा (निर्माता) , विष्णु ( रक्षक ), और शिव ( विनाशक ) ने भी उसे रोकने में नाकाम रहे ,इसलिए एक स्त्री ऊर्जा की उपस्थिति नरसंहार करने के लिए की गयी ,जिसने तीनो लोको में तहलका मचा दिया था-अर्थ , स्वर्ग और नीचे की दुनिया। देवी दुर्गा को सभी देवताओं द्वारा विभिन्न हथियार उपहार में दिए गए थे। जिसमें से भाला और त्रिशूल सबसे आम तौर पर उसके चित्रों में दर्शाया गया है ।वह सुदर्शन चक्र, तलवार , धनुष और तीर और अन्य हथियार पकड़े देखि गयी है। शाली देवी माना जाता है| 

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श्री गौरी अम्बे जी की आरती इस प्रकार है:

मैं तेरा कंगाल पुजारी सौ-सौ दीप कहाँ से लाऊं |
मेरे पास भक्ति है माता मैं उसी का दीप जलाऊँ |
मैं एक दिए की आरती उतारूं गौरी मैया | जय

जय अम्बे जगदम्बे गौरी जय अम्बे जगदम्बे |
धन होता तो सोना चांदी सुख से अर्पण करता |
हीरे मोती ला लाकर, मां तेरी झोली भरता |
मांगे हुए दो फूल से सिंगर करूं गौरी मैया | जय

ना मैं मांगू राजपाट मां और न चन्दा तारे |
मैं तो सुख दुःख में बस मैया पकडूं चरण तुम्हारे |
दिन रात तुम्हारा नाम ही पुकारूँ गौरी मैया | जय

मेरे सब कुछ तेरी मूरति माँ इससे तो आ जाओ,
मैं शाम सबेरे रास्ता निहारूं गौरी मैया | जय

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