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शिवजी की आरती – Shivji ki Aarati

शिवजी की आरती - Shivji ki Aarati

शिवजी की आरती

शिवजी की आरती इस प्रकार है:

शंकर तेरी जटा में, बहती है गंगाधारा|
काली घटा के अंदर, जिमि दामिनी उजारा||

गल मुण्डमाला राजे, शशि भाल में विराजे|
डमरू निदान बाजे, कर में त्रिशूल भारा||

दृग तीन तेज राशि, कटिबन्ध भाग फांसी|
गिरिजा हैं संग दासी, सब विश्व के अधारा||

मृत चर्म भस्मधारी, वृषभराज पर सवारी|
निज भक्त दुखहारी, कैलास में विहारा||

शिव नाम जो उचारे, सब पाप दोष टारे|
ब्रह्मानन्द ना बिसारे, भव सिन्धु पार तारा||

शंकर तेरी जटा में, बहती ही गंगाधारा|
काली घटा के अंदर जिमि दामिनी उजारा||