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स्वार्थी दोस्त किस काम के – शिक्षाप्रद कथा

स्वार्थी दोस्त किस काम के - शिक्षाप्रद कथा

एक खरगोश था| उसके कई मित्र थे| घोड़ा, बैल, बकरा, भेड़ आदि| लेकिन उनकी मित्रता कितनी सच्ची है, उसे यह परखने का अवसर आज तक नहीं मिला था|

एक दिन उसे यह मौका तब मिला, जब वह स्वयं संकट में पड़ गया|

उस दिन कुछ शिकारी कुत्ते उसके पीछे पड़ गए| यह देखकर खरगोश जान बचाने के लिए भागने लगा| भागते-भागते उसका दम फूलने लगा| वह थककर चूर हो गया| जब और अधिक नहीं भागा गया तो कुत्तों को चकमा देकर वह एक घनी झाड़ी में घुस गया और वहीं छिपकर बैठ गया| पर उसे यह डर सता रहा था कि कुते किसी भी क्षण वहां आ पहुंचेंगे और सूंघते-सूंघते उसे ढूंढ निकालेंगे|

वह समझ गया कि यदि समय पर उसका कोई मित्र न पहुंच सका, तो उसकी मृत्यु निश्चित है| वह अपने मित्रों को याद करने लगा| यदि घोड़ा आ गया तो वह मुझे अपनी पीठ पर बैठाकर ले भागेगा| यदि बैल आ गया तो अपने पैने सीगों से इनके पेट फाड़ देगा| यदि भेड़ आ गई तो वह टक्करें मार-मारकर इनकी अक्ल दुरुस्त कर देगी|

तभी उसकी नजर अपने मित्र घोड़े पर पड़ी| वह उसी रास्ते पर तेजी से दौड़ता हुआ आ रहा था|

खरगोश ने घोड़े को रोका और कहा – “घोड़े भाई, कुछ शिकारी कुत्ते मेरे पीछे पड़े हुए हैं| तुम मुझे अपनी पीठ पर बिठाकर कहीं दूर ले चलो वरना ये शिकारी कुत्ते मुझे मार डालेंगे|”

घोड़े ने कहा, “प्यारे भाई, मैं तुम्हारी मदद तो जरूर करता, पर इस समय मैं बहुत जल्दी में हूं| वह देखो, तुम्हारा मित्र बैल इधर ही आ रहा है| तुम उससे कहो, वह जरूर तुम्हारी मदद करेगा|”

यह कहकर घोड़ा सरपट दौड़ता हुआ चला गया|

खरगोश ने बैल से प्रार्थना की, “बैल दादा, कुछ शिकारी कुत्ते मेरा पीछा कर रहे हैं| कृपया आप मुझे अपनी पीठ पर बिठा लें और कहीं दूर ले चलें, नहीं तो कुत्ते मुझे मार डालेंगे|”

“भाई खरगोश! मैं तुम्हारी मदद जरूर करता, पर इस समय मेरे कुछ दोस्त बड़ी बेचैनी से मेरा इंतजार कर रहे होंगे, इसलिए मुझे वहां जल्दी पहुंचना है| देखो, तुम्हारा मित्र बकरा इधर ही आ रहा है, उससे कहो, वह जरूर तुम्हारी मदद करेगा|”

यह कहकर बैल भी चला गया|

खरगोश ने बकरे से विनती की, “बकरे चाचा, कुछ शिकारी कुत्ते मेरा पीछा कर रहे हैं| तुम मुझे अपनी पीठ पर बिठाकर कहीं दूर ले चलो, तो मेरे प्राण बच जाएंगे, वरना वे मुझे मार डालेंगे|”

बकरे ने कहा, “बेटा, मैं तुम्हें अपनी पीठ पर दूर तो ले जाऊं, पर मेरी पीठ खुरदरी है| उस पर बैठने से तुम्हारे कोमल शरीर को बहुत तकलीफ होगी| मगर चिंता न करो, देखो, तुम्हारी दोस्त भेड़ इधर ही आ रही है, उससे कहोगे तो वह जरूर तुम्हारी मदद करेगी|” यह कहकर बकरा भी चलता बना|

खरगोश ने भेड़ से भी मदद की याचना की, पर उसने भी खरगोश से बहाना करके अपना पिंड छुड़ा लिया|

इस तरह खरगोश के सभी मित्र वहां से गुजरे| खरगोश ने सभी से मदद करने की प्रार्थना की, पर किसी ने उसकी मदद नहीं की| सभी कोई न कोई बहाना कर चलते बने|

खरगोश ने मन-ही-मन कहा, ‘अच्छे दिनों मेरे मेरे अनेक मित्र थे| पर आज संकट के समय कोई मित्र काम नहीं आ रहा| मेरे सभी मित्र केवल अच्छे दिनों के ही साथी हैं|’

थोड़ी देर में उसे खोजते शिकारी कुत्ते वहां भी आ पहुंचे| उन्होंने बेचारे खरगोश को मार डाला| अफसोस की बात है कि इतने सारे मित्र होते हुए भी खरगोश बेमौत मारा गया|

 

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