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भगवान शिव जी की कथाएँ (34)

प्रजापति महर्षि कश्यप की कई पत्नियां थीं| उनमें से एक नाम दनु था| दनु की संतान दानव कहलाई| उसी दनु के बड़े पुत्र का नाम दंभ था|

प्राचीन काल में रत्नभद्र नाम से प्रसिद्ध एक धर्मात्मा यक्ष गंधमादन पर्वत पर रहता था| उनके पूर्णभद्र नामक एक पुत्र उत्पन्न हुआ|

एक बार इंद्र सहित देवताओं ने भगवान शिव की परीक्षा करनी चाही| वह देवों के गुरु वृहस्पति के साथ कैलाश पर्वत पर पहुंचे|

एक श्रेष्ठ पुत्र की प्राप्ति हेतु भगवान शिव से आज्ञा लेकर पार्वती ने एक वर्ष तक चलने वाले पुण्यक व्रत का समापन किया|

पूर्वकाल में नर्मदा नदी के तट पर नर्मपुर नामक एक नगर था| वहां विश्वानर नामक एक मुनि रहते थे| वे परम शिव भक्त व जितेंद्रिय थे|

विवाह संपन्न होने के बाद शिव अपनी नवविवाहिता पत्नी पार्वती को साथ लेकर कैलाश पर्वत लौट आए| वहां नंदी ने पहले से ही तैयार कर रखी थी|

विवाह संपन्न होने के बाद शिव अपनी नवविवाहिता पत्नी पार्वती को साथ लेकर कैलाश पर्वत लौट आए| वहां नंदी ने पहले से ही तैयार कर रखी थी|

कर्ण को युद्ध में मार गिराने के लिए अर्जुन पाश्पतास्त्र प्राप्त करना चाहता था|

एक समय पृथ्वी पर लगातार बारह वर्षों तक भयंकर अकाल पड़ा| अकाल के समय न कहीं नभ पर बादल दिखाई दिए और न ही धरा पर कहीं हरियाली|

पूर्वकाल में शिलाद नामक एक धर्मात्मा मुनि ने अपने पितरों के आदेश से मृत्युहीन एवं अयोनिज पुत्र की कामना से भगवान शिव की कठोर तपस्या की|

एक बार भगवती पार्वती के साथ भगवान शिव पृथ्वी पर भ्रमण कर रहे थे| भ्रमण करते हुए वे एक वन-क्षेत्र से गुजरे|

एक बार भगवान शिव कैलाश पर्वत पर वेदों का रहस्य पार्वती को समझाने लगे| पार्वती बड़े ध्यान से सुन रही थीं, किंतु बीच-बीच में वे ऊंघने भी लगती थीं|

दैत्यराज बलि के सौ पुत्र थे| जिनमें वाणासुर सबसे बड़ा था|

ऋषि उपमन्यु बड़े प्रेम-व्रती थे| दिन-रात अपने प्रेम के प्रसून शिवजी के चरणों पर चढ़ाया करते थे| न खाने की सुधि, न विश्राम की चिंता|

प्राचीन काल में कांपिल्य नगर में यज्ञदत नामक एक परम तपस्वी एवं सदाचारी ब्राह्मण रहते थे| वे संपूर्ण वेद-वेदांगों के ज्ञाता और सर्वदा श्रोत-स्मार्त्त कर्मों में प्रवृत्त रहते थे|

त्रेता युग की बात है| कैलाश पर्वत पर पार्वती भगवान शिव के साथ प्रात: भ्रमण कर रही थीं| शिव बड़े प्रसन्नचित थे|

एक बार भगवन शिव भगवती पार्वती के साथ कैलास के शिखर पर विहार कर रहे थे| उस समय पार्वती का सौंदर्य खिल रहा था|

ब्रह्मा जी के पौत्र क्षुप एवं महर्षि-च्यवन के पुत्र दधीचि आपस में घनिष्ठ मित्र थे| एक बार दोनों में एक विवाद उठ खड़ा हुआ|

प्राचीनकाल में नंदी नामक वैश्य अपनी नगरी के एक धनी-मानी और प्रतिष्ठित पुरुष थे| वे बड़े सदाचारी और वर्णाश्रमोचित धर्म को दृढ़ता से पालन करते थे|

प्राचीन समय में अर्बुद नामक पर्वत के पास आहुक नाम का एक भील रहता था| उसकी पत्नी का नाम आहुका था|

विश्रवा मुनि का पुत्र रावण महान शूरवीर तथा विद्वान था| अपने पिता से उसने वेदों और शास्त्रों का अध्ययन किया हुआ था|

एक बार पृथ्वी पर जल-वृष्टि न होने के कारण चारों ओर अकाल फैला हुआ था| सरिता, ताल-तलैया और सरोवर सूख गए थे|

महाराज सगर के साठ हजार पुत्र कपिल मुनि की क्रोधाग्नि से भस्म हो गए थे|

शिव की पहली पत्नी थीं सती| यह विवाह उन्होंने सती के पिता दक्ष की इच्छा के विरुद्ध किया था|

दक्ष प्रजापति की कई पुत्रियां थीं| सभी पुत्रियां गुणवती थीं, पर दक्ष के मन में संतोष नहीं था|

किसी गांव में एक निर्धन ब्राह्मण अपनी पत्नी और पुत्र के साथ रहता था| ब्राह्मण को गांव से जो भिक्षा मिलती, उसी से वह अपने परिवार का भरण-पोषण करता था|

इक्ष्वाकु कुल में बहुत पहले एक पुण्यात्मा राजा राज्य करता था| उसका नाम मित्रसह था| वह बहुत धीर-वीर और श्रेष्ठ धनुर्धारी था|

एक समय की बात है कि देवर्षि नारद ने विषय-वासनाओं पर विजय प्राप्त करने के लिए परब्रह्म की कठोर साधना की|

एक बार भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए मृकंडु मुनि ने कठोर तपस्या की| उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए|

वैदिक काल में त्रिपुर नाम का एक असुर राजा था| उसने नागों, यक्षों, गंधर्वों तथा किन्नरों को जीतकर अपना राज्य दूर-दूर तक फैला लिया|

पार्वती जब भी अपने पति शिव के साथ दूसरे देवताओं के निवास स्थान पर जातीं और वहां उनके सजे-धजे सुंदर भवनों को देखतीं तो उन्हें बड़ी हीनता का बोध होता|

दैत्यराज शकुनि के पुत्र का नाम वृकासुर था| वृकासुर बहुत ही महत्वकांक्षी युवक था और उसकी हर समय यही इच्छा रहती थी कि वह संसार का अधिपति बन जाए|

प्राचीनकाल से ही काशी शिव-क्रीड़ा का केंद्र रहा है| एक बार भगवान शिव पार्वती सहित काशी पधारे| वे कुछ दिन काशी में रुके, तत्पश्चात मंदराचल पर चले गए|