खुशखबरी या मातम (बादशाह अकबर और बीरबल)
बादशाह अकबर से मिलने कुछ विदेशी मेहमान आए हुए थे| वे अभी दरबार में उपस्थित नहीं हुए थे| कुछ देर बाद एक सेवक आया और बोला – “हुजूर की मां का देहान्त हो गया है, अत: उन्हें आने में देर लगेगी|”
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थोड़ी देर बाद एक अन्य सेवक ने आकर सूचना दी कि बादशाह अकबर के घर में बेगम ने पुत्र को जन्म दिया है इसलिए वे देर से आएंगे|
दो अलग-अलग समाचार सुनकर वहां उपस्थित मेहमान और दरबारी परेशान हो गए| उन्हें समझ में नहीं आया कि वे दुख भरी खबर का मातम मनाएं या खुशखबरी की खुशियां| सभी ने बीरबल से इस संबंध में राय मांगी|
बीरबल ने कुछ सोचने के बाद कहा – “जब तक बादशाह सलामत आ नहीं जाते तब तक हमें यथास्थिति बनाए रखनी चाहिए| बादशाह के आने पर ही पता चलेगा की वास्त्विकता क्या है और यह जानने के लिए हमें यह देखना होगा कि बादशाह सलामत गमगीन अवस्था में दरबार में आते हैं या खुशी-खुशी| यदि बादशाह गमगीन हों तो हमें भी शोक मनाना है और यदि वे खुश नजर आएं तो हम उन्हें पुत्र के आगमन की बधाइयां देंगे|”
कुछ देर बाद बादशाह अकबर दरबार में उपस्थित हुए तो सभी ने उन्हें पुत्र प्राप्ति पर बधाइयां दीं क्योंकि वे खुश दिखाई दे रहे थे|
जब बादशाह को यह पता चला कि दरबारियों की समस्या का हल बीरबल ने ढूंढा था तो उन्होंने उसकी बहुत प्रशंसा की|