चुगली से हानि
चुगली करना, इधर-उधर बात फैलाना, द्वेष पैदा करना, कलह करवाना-यह महान हत्या है, बड़ा भारी पाप है| एक नौकर मुसलमान के यहाँ जाकर रहा| रहने से पहले उसने कह दिया कि मेरी इधर-की-उधर करने की आदत है, पहले ही कह दिया हूँ! मियाँ ने सोचा कि कोई परवाह नहीं, ‘मियाँ बीबी राजी तो क्या करेगा काजी’ और रख लिया उसे|
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अब वह एक दिन जाकर रोने लगा तो बीबी ने पूछा कि रोता क्यों है? तो बोला कि आपके घर रहता हूँ, तनखा पता हूँ, जिससे मेरा काम चलता है|
आपके हित की बात कहने की मन में आती है, पर क्या करूँ,आपको जचे, न जचे! दुःख होता है! बीबी ने कहा कि बता तो दे, क्या दुःख है? उसने कहा कि मियाँ साहब तो दूसरी शादी करना चाहते हैं, आपके आफत आ जायेगी! तो बीबी ने पूछा कि इसका कोई उपाय है? उसने कहा-हाँ, इसका उपाय है| आप मियाँ की दाढ़ी के कुछ केश ले आओ तो मैं उसकी एक तावीज(यंत्र) बना दूँगा, फिर सब ठीक हो जाएगा|’ उधर उस मियाँ को जाकर कह दिया कि ‘बीबी आपसे बड़ा द्वेष रखती है, कभी मारेगी आपको! मेरे आगे बात करती है, इसलिए आप ख्याल रखना|’ अब मियाँ भी सजग रहने लगा कि मेरे को मार न दे| एक दिन मियाँ नींद का बहाना बनाकर लेते हए थे| वह दाढ़ी के केश काटने के लिए छुरी लेकर आयी तो उसने सोचा कि यह तो मेरा गला कटेगी| अतः दोनों में बड़ी कलह हो गयी| इसलिए कहा है-
चुगलखोर से बात न करना, खड़ा न रहना पास|
मियाँ बीबी दोनों मरे, भयो कुटुम्ब को नास||