चार मुर्ख (बादशाह अकबर और बीरबल)
बादशाह अकबर ने बीरबल को आदेश दिया कि वह चार मूर्खों को एक सप्ताह में दरबार में हाजिर करे… और वह चारों एक से बढ़कर एक होने चाहिए|
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आदेश मिलते ही बीरबल का मुर्ख खोजो अभियान शुरू हो गया| इसी दौरान उसे एक आदमी मिला जो ढेर सारी मिठाइयां लेकर तेजी से चला जा रहा था| बीरबल ने उसे रोककर पूछा – “क्यों भाई! यह मिठाइयां लेकर कहां जा रहे हो, क्या बात है?”
“मेरी पत्नी को अपने दूसरे पति से पुत्र उत्पन्न हुआ है, उसे बधाई देने जा रहा हूं|” उसने जवाब दिया|
बीरबल को वह आदमी मुर्ख नजर आया और उसे अपने साथ ले लिया|
आगे बढ़ने पर उसे एक और व्यक्ति दिखाई दिया जो स्वयं तो घोड़ी पर बैठा था और घास का ढेर अपने सिर पर रखा हुआ था|
“भाई! यह घास का ढेर तुमने अपने सिर पर क्यों रखा है?”
“मेरी घोड़ी गर्भ से है, सारा भार घोड़ी पर न पड़े इसलिए खुद तो घोड़ी पर बैठा हूं और घास अपने सिर पर रख ली है|”
बीरबल को वह आदमी भी मुर्ख लगा और उसने उसे भी अपने साथ ले लिया|
अगले दिन प्रात: बीरबल उन दोनों मूर्खों को लेकर दरबार में उपस्थित हो गया और अकबर से कहा – “जहांपनाह, आपकी आज्ञानुसार मैंने मूर्खों को एकत्र कर लिया है|”
“किन्तु यह तो दो ही हैं, मैंने तो चार लाने को कहा था|”
“जहांपनाह, दरबार में चारों मुर्ख उपस्थित हैं|”
अकबर ने हैरानी से पूछा – “कहां हैं , मुझे तो ये दो ही दिखाई दे रहे हैं|”
“जहांपनाह! दो मुर्ख तो यह हो गए, तीसरे आप हैं जो मूर्खों को एकत्र करने के लिए कह रहे हैं, और चौथा मैं… जो मूर्खों को एकत्र कर रहा हूं|”
बीरबल का जवाब सुनकर अकबर हंस दिए|