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दोस्ती का फ़र्ज

अमरुद के एक पेड़ पर तोता-मैना का जोड़ा रहता था| उसी पेड़ की जड़ में एक बूढ़ा साँप भी रहता था| साँप बहुत ही कमज़ोर हो गया था| कई बार तो वह अपने भोजन की तलाश में भी नही जा पाता था| इसलिए तोता ही उसके लिए भोजन जुटाकर उसके बिल के पास रख देता था| साँप भी जानता था कि तोता उसका ख्याल रखता है|

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एक दिन तोता-मैना पेड़ की डाल पर मग्न बैठे थे| इतने में एक गिद्ध उनका शिकार करने के लिए उनके सिर पर मँडराने लगा| तभी एक शिकारी भी उस पेड़ के नीचे आया और अपना तीर-कमान निकालकर निशाना तोते की तरफ़ साध दिया|

बिल में बैठे साँप ने जब देखा कि उसके मित्र तोता-मैना पर दोहरा खतरा मंडरा रहा है तो वह परेशान हुआ| साँप ने सोचा कि पहले उन्हें इस खतरे से तो बचाया जाए और उसने तेजी से जाकर शिकारी के पैर पर ज़ोरदार डंक मारा| जैसे ही साँप ने डंक मारा शिकारी ने तीर छोड़ दिया, लेकिन डंक लगने के कारण उसका निशाना चूक गया और तीर तोता-मैना के ऊपर उड़ रहे गिद्ध को जाकर लगा|

उधर तोता-मैना अपने ऊपर आए खतरे से पूरी तरह बेखबर अपनी ही दुनिया में खोए थे| परंतु साँप ने अपनी दोस्ती का फ़र्ज अदा कर दिया था|


कथा-सार

सच्चे मित्र संकट के समय में भी अपनी जान जोखिम में डालकर भी मित्र के प्राणों की रक्षा करता है| तोता जो उपकार साँप पर करता था, वह मित्रता के कारण ही था| इसलिए खतरे से बेखबर तोता-मैना की रक्षा साँप की सच्ची मित्रता की मिसाल थी|