बीरबल ही दीवानी के योग्य (बादशाह अकबर और बीरबल)
बादशाह अकबर की बेगम ने जिद पकड़ ली कि उनके भाई को दिल्ली को दीवान नियुक्त किया जाए और बीरबल की दीवान पद से छुट्टी कर दें| बादशाह अकबर ने बेगम को बहुत समझाया| उनके भाई के लिए किसी दूसरे पद की पेशकश की, किंतु बेगम न मानीं|
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हारकर बादशाह बोले – “ठीक है बेगम! कल हम तुम्हारे भाई को अपने साथ ले जाएंगे और उसे परखेंगे, यदि इस पद के योग्य लगा तो हम उसे दीवान बना देंगे|”
बेगम शांत हो गईं, उसे अपने भाई की बुद्धिमानी पर पूरा भरोसा था|
अगले दिन बादशाह अकबर अपने साले के साथ दरगाह से लौट रहे थे तो उन्हें रास्ते में एक जगह हाथी के पैर का निशान दिखाई दिया| वे अपने साले से बोले -“तीन दिन तक इस निशान की देखभाल करो, यह निशान मिटना नहीं चाहिए, यदि ऐसा कर पाए तो तुम्हारी दीवानी पक्की|”
यह कहकर बादशाह अकबर लौट गए और उनका साला वहीं रुककर हाथी के पैर के निशान की देखभाल करने लगा| तीनी दिन तक भूखे-प्यासे रहकर उसने उस निशान को वहां से मिटने न दिया| चौथे दिन प्रात: दरबार में आकर बादशाह अकबर को बता दिया कि वह उस निशान को बचा पाने में कामयाब हो गया है|
अगले दिन बादशाह अकबर ने बीरबल को बुलाया और उसी जगह ले आए जहां उनके साले ने हाथी के पैर के निशान की रक्षा की थी| वहां पर बादशाह अकबर ने पहले से ही हाथी के पैर का एक नया निशान बनवा दिया था| वह निशान बीरबल को दिखाते हुए बादशाह अकबर बोले – “बीरबल तीन दिन तक यह निशान यहीं मौजूद रहना चाहिए अन्यथा तुम्हारी दीवानी गई समझो|”
बादशाह अकबर लौट गए| बीरबल ने अपने सेवकों से दस हाथ लम्बी रस्सी मंगवाई और जमीन नापने लगे| उसे ऐसा करते देखकर आसपास के निवासियों ने इस बारे में पूछताछ की तो बीरबल बोला – “इस निशान से दस हाथ की दूरी तक के सभी मकान तोड़े जाएंगे, वही देख रहा हूं कि कितने मकान आ रहे हैं|”
यह सुनते ही वे लोग डर गए जिनके मकान इस सीमा के अंदर थे, वे बीरबल से बचाव की गुजारिश करने लगे|
बीरबल ने उन सभी लोगों से पांच सौ से हजार रुपये तक वसूले| इस तरह उसने एक लाख रुपये एकत्र किए और कहा – “अब तुम लोगों के मकान बच जाएंगे, किंतु यह हाथी के पैर का निशान यहां पर तीन दिन तक मौजूद रहना चाहिए अन्यथा तुम्हारे रुपये भी जाएंगे और मकान भी नहीं बचेंगे|”
सभी लोगों ने बीरबल को विश्वास दिलाया कि वे इस निशान को तीन दिन तक मिटने नहीं देंगे| बीरबल को भी विश्वास था कि वे लोग जरूर इस निशान की रक्षा करेंगे| बीरबल अपने घर लौट आया और तीन दिन तक आराम किया| इसके पश्चात दरबार में जाकर एक लाख रुपये शाही खजाने में जमा करवाकर उसकी रसीद प्राप्त की| फिर वह बादशाह से मिलने दरबार की ओर चल दिया|
दरबार में पहुंचकर बीरबल ने बादशाह अकबर को सलाम किया, फिर कहा – “हुजूर हाथी के पैर के निशान अब भी वहां मौजूद हैं और यह उसकी रक्षा करने के लिए मिले एक लाख रुपये की रसीद है|”
बादशाह अकबर हैरान हो गए| जब उन्हें सारी बात मालूम पड़ी तो उन्होंने अपने साले को दरबार में बुलाया और कहा – “तुमने हाथी के पैर के निशान की तीन दिन तक भूखे-प्यासे रहकर रक्षा की और मिला कुछ भी नहीं| उधर बीरबल को जब यही आदेश दिया तो उसने बड़ी सफाई से खुद वहां न उपस्थित रहकर उस निशान की रक्षा भी की तथा शाही खजाने के लिए एक लाख रुपये भी एकत्र कर लिए, अब तुम ही बताओ… इस राज्य का दीवान बनने योग्य कोण है?”
बादशाह के साले को बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई, वह चुपचाप सिर झुकाकर दरबार से चला गया|