वाराणसी आईआईटी बीएचयू के छात्रों ने दो साल की मेहनत के बाद ‘इन्फर्नो’ नाम की कार बनाई है। छात्रों का दावा है कि यह कार पानी, पहाड़, कीचड़, ऊबड़-खाबड़ जैसे हर तरह के रास्तों पर चलने में सक्षम है। तीन लाख रूपये की लागत से तैयार इस कार को मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के छात्रों की टीम ने सहायक प्रोफेसर रश्मिरेखा साहू के मार्गदर्शन में किया। अब यह छात्र चाहते हैं कि यह कार देश की सुरक्षा में तैनात भारतीय सेना के काम भी आए। इससे पहले यह इन्फर्नो इंदौर में सोसायटी आॅफ आॅटोमोटिव इंजीनियरिंग में पहला पुरस्कार जीत चुकी है। इस कार में 305 सीसी ब्रिग्स और स्ट्रैटन इंजन लगा है जो उसे रफ्तार देने में मदद करता है। इसके साथ ही ड्राइवर की सुरक्षा और कन्फर्ट का भी ख्याल रखा गया है। 50 डिग्री के पहाड़ पर भी यह कार चल सके, इसके लिए आगे के पहियों को बड़ा रखा गया है।
संयुक्त राष्ट्र संघ के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान ने माना था कि पिछली 20वीं सदी रक्तपात से भरी खूनी सदी थी। पिछली सदी में प्रथम तथा द्वितीय विश्व युद्धों का महाविनाश हुआ। इसके अलावा विभिन्न देशों के बीच अनेक युद्ध हुए। आतंकवाद की घटनाओं में मासूमों का खून बहाया गया। पंजाब केसरी में प्रकाशित एक लेख के अनुसार रूसी क्रान्ति के 100 सालों पर आज सोवियत संघ के प्रमुख मिखाइल गोर्बाच्योव यह साफ शब्दों में मान रहे हैं कि नेताओं ने सत्ता पाने के लिए जो किया वह उन्हें नहीं करना चाहिए था। गोर्बाच्योव के खुलापन और पुनर्निर्माण यही दो जुमले थे, जिन्होंने 73 साल पुराने और दुनिया के सबसे मजबूत व अभेद्य लौह किले को ताश के पत्तों की तरह ढहा दिया। वास्तव में 25 साल पहले जब क्रेमलिन में सोवियत संघ का झंडा आखिरी बार झुका था, उसके बाद वह झंडा हमेशा-हमेशा के लिए इतिहास की धरोहर बन गया। बड़े-बड़े अनुमान लगाये गये थे, बड़ी-बड़ी उम्मीदें लगायी गई कि लोकतंत्र की हवा बहते ही रूस दुनिया का सरताज बन जायेगा लेकिन 1991 में सोवियत संघ के बिखर जाने के बाद रूस के पतन की कहानियां जिन लोगों ने पढ़ी हैं, वह बहुत ही दुखदायी है। हमारा मानना है कि नई 21वीं सदी को सभी देशों को मिलकर गुफाओं से प्रारम्भ हुई मानव सभ्यता को स्वर्णिम युग में ले जाने का साहसिक निर्णय ले लेना चाहिए। यहीं आज मानवता की पुकार है।
देश के प्रथम उप-प्रधानमंत्री लोहपुरूष सरदार वल्लभभाई पटेल ने पहले गणतंत्र दिवस के अवसर पर कहा था कि भारत के इतिहास का एक नया अध्याय हमारे सामने खुल रहा है। हमारे पास अपने आप को बधाई देने की वजह है कि हम सब इस मुबारक मौके के भागीदार बन रहे हैं। यह हमारे लिए गर्व का भी अवसर है। लेकिन इस गौरव बोध और जश्न के साथ हमें अपने कर्तव्यों और दायित्वों को भी याद रखने की जरूरत है। हमें अपने-अपने दिल व दिमाग को साफ करके खुद से, नए गणराज्य से और देश से यह वादा करना चाहिए कि हम ईमानदार आचरण करेंगे। हमें याद रखने की जरूरत है कि हम कौन हैं, हमें क्या विरासत मिली है और हमने क्या हासिल किया है?
लखनऊ में 3 दिसम्बर 2016 को घटित एक समाचार के अनुसार कैथेड्रिल सीनियर सेकंेडरी स्कूल, लखनऊ के कक्षा 12 के पढ़ाई में टाॅपर छात्र ललित यादव ने पिता की लाइसंेसी रिवाॅल्वर से गोली मारकर मौत को गले लगा लिया। लखनऊ के मड़ियांव थाना क्षेत्र के केशवनगर में रहने वाले अमरनाथ यादव एसपी लखीमपुर के पेशकार है। परिजनों के मुताबिक, रोजाना की तरह ललित अपने छोटे भाई सुमित के साथ अपनी अपाचे बाइक से 3 दिसम्बर की सुबह भी स्कूल पढ़ने के लिए गए थे। छात्र के स्कूल पहुंचने के बाद प्रिन्सिपल फादर ने उसके पिता को फोन किया और बताया कि ललित ने अपनी बाइक से एक छात्रा के रिक्शे में टक्कर मार दी है। उस टक्कर लगने से रिक्शे पर बैठी छात्रा और उसका चालक सड़क पर गिर गये थे। प्रिन्सिपल की डांट से क्षुब्ध छात्र ललित ने घर आकर खुदकुशी कर ली। इस दुखद के घटना में दिवंगत छात्र ललित की आत्मा की शान्ति के लिए हम प्रार्थना करते हैं। परमपिता परमात्मा इस अपार दुःख को सहन करने की उनके परिवारजनों को शक्ति प्रदान करें।
भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति की मूल शिक्षा ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम्’’ की भावना पर आधारित भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 विश्व एकता का संदेश देता है। संविधान के अनुच्छेद 51 के अनुसार भारत का गणराज्य (क) अन्तर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की अभिवृद्धि करेगा, (ख) राष्ट्रों के बीच न्यायसंगत और सम्मानपूर्ण संबंधों को बढ़ाने का प्रयत्न करेगा, (ग) संसार के सभी राष्ट्र अन्तर्राष्ट्रीय कानून का सम्मान करें ऐसा प्रयत्न करेगा तथा (घ) अन्तर्राष्ट्रीय विवादों का निबटारा माध्यस्थम् द्वारा हो का प्रोत्साहन देेगा। विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रित देश में धर्म निरपेक्ष तथा अनूठे संविधान का 26 जनवरी 1950 को जन्म हुआ था। देश के 125 करोड़ भारतीय के लिए यह एक सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पर्व है। गणतन्त्र दिवस के पावन पर्व पर सभी भारतीयों को अपने महान संविधान के अनुच्छेद 51 पर चिन्तन, मनन व मंथन करना चाहिए। संविधान में समाहित ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना को सारे विश्व के विभिन्न देशों में स्थित भारतीय दूतावासों के माध्यम से प्रसारित करने का यह दिवस है। भारतीय संविधान की पुस्तक विश्व के सभी देशों के राष्ट्रध्यक्षों तथा शासनाध्यक्षों को भेंट की जानी चाहिए।
जीवन में मिलने वाले सभी दुःखों का कारण हम परमात्मा को मान लेते हैं:-
जिंदगी में कई बार हम बहुत खुश होते हैं तो कभी दुःखी हो जाते हैं। जब हम सुख में रहते हैं तो इसकी वजह हम अपने को व अपनी योग्यता को मानते हैं, लेकिन जब हम दुःख में रहते हैं तो इसका कारण हम परमात्मा को मान लेते हैं। तब हम कहने लगते है कि यह सब परमात्मा की देन है। वास्तव में अगर हम अपने जीवन के पिछले कुछ वर्षो को देखें तो हम पायेंगे कि इस समय में हमें सुख भी आया और दुःख भी आया। लेकिन हमें याद केवल दुःख ही रहते हैं। एक कहानी है कि एक बार एक व्यक्ति का सब कुछ चला गया। उसकी नौकरी भी चली गई। जिंदगी से हताश होकर उस व्यक्ति ने आत्महत्या करने की सोची और जंगल की तरफ चल दिया। जंगल में पहुँच कर उस व्यक्ति ने सोचा कि आत्महत्या करने से पहले मैं एक बार परमात्मा की प्रार्थना अवश्य करूगाँ। उनसे आखरी बार बातचीत करूगाँ और उसके बार मैं अपने जीवन का अन्त कर लूँगा।
यदि हमारे अंदर पुराने का आग्रह है तो जीवन में सब पुराना हो जाएगा। जीवन मंे यदि हम पुराने का आग्रह छोड़ दें तो इस नये वर्ष 2017 का प्रत्येक दिन नया दिन तथा प्रत्येक क्षण नया क्षण होगा। कोई व्यक्ति जो निरंतर नए में जीने लगे, तो उसकी खुशी का हम कोई अंदाजा नहीं लगा सकते। हमारे अंदर यह जज्बा होना चाहिए कि इस क्षण में नया क्या है? यदि यह जज्बा हो तो ऐसा कोई भी क्षण नहीं है, जिसमें कुछ नया न आ रहा हो। हम नए को खोजें, थोड़ा देखें कि यह ऊर्जावान तथा जीवनदायी सूरज कभी उगा था? हम चकित खड़े रह जाएंगे कि हम अब तक इस भ्रम में ही जी रहे थे कि रोज वही ऊर्जावान तथा जीवनदायी सूरज उगता है। हम अपने जीवन में निरन्तर यह खोज जारी रखे कि नया क्या है? हमारा फोकस पुराने पर है या नये पर है यह इस बात पर सब कुछ निर्भर करता है। हम हर चीज में नया खोजने का स्वभाव विकसित करे। हमारा पूरा फोक्स नई वस्तुओं से जीवन को नया करने पर नहीं वरन् स्वयं के दृष्टिकोण को नया करने पर होना चाहिए। प्रत्येक क्षण को नया बनाने के इस विचार को हकीकत में बदलने की क्षमता ही नेतृत्व की असली विशेषता है।
(1) प्रकृति से खिलवाड़ के भयंकर परिणाम होगे!
धरती का अस्तित्व रखने वाले सभी जीवों का प्रकृति से सीधा संबंध है। प्रकृति में हो रही उथल-पुथल का प्रभाव सब पर पड़ता है। मनुष्य की छेड़छाड़ की वजह से प्रकृति रौद्ररूप धारण कर लेती है। मानव को समझ लेना चाहिए कि वह प्रकृति से जितना खिलवाड़ करेगा, उतना ही उसे नुकसान होगा। मानव ने पर्यावरण को प्रदूषित किया है, वनों को काटा है, जल संसाधनों का दुरूपयोग किया है। सुनामी हो या अमेरिका के कुछ शहरों को तबाह करने वाला तूफान, सब का कारण प्रकृति से छेड़छाड़ ही है। ओजोन परत में छेद व वातावरण में बढ़ते कार्बन डाई आॅक्साइड की वजह से ग्लोबल वार्मिग का खतरनाक संकेत है। मानव प्रकृति से छेड़छाड़ कर अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारना बंद करे। आज इंसान ने इस जमीं पर मौत का आशियाॅ बनाया। यू तो कदम चाँद पर, जा पहुँचे है लेकिन जमीं पर चलना न आया। धरती को प्रदुषण के महाविनाश से बचाना आज के युग का सबसे बड़ा पुण्य है।
आज हम इंटरनेट तथा सैटेलाइट जैसे आधुनिक संचार माध्यमों से लैस हैं। संचार तकनीक ने वैश्विक समाज के गठन में अहम भूमिका अदा की है। हम समझते हैं कि मानव इतिहास में यह एक अहम घटना है। हम एक बेहद दिलचस्प युग में जी रहे हैं। आओ, हम सब मिलकर एक अच्छे मकसद के लिए कदम बढ़ाएं। पिछले कुछ साल से विभिन्न देशों की दर्दनाक घटनाएं इंटरनेट के जरिये दुनिया के सामने आ रही हैं। इनसे एक बात तो तय हो गई कि चाहे हम दुनिया के किसी भी कोने में हों, हम सब एक ही समुदाय का हिस्सा हैं। इंटरनेट ने मानव समुदाय के बीच मौजूद अदृश्य बंधनों को खोल दिया है। दरअसल हम सबके बीच धर्म, नस्ल और राष्ट्र से बढ़कर आगे भी कोई वैश्विक रिश्ता है और वह रिश्ता नैतिक भावना पर आधारित है। यह नैतिक भावना न केवल हमें दूसरों का दर्द समझने, बल्कि उसे दूर करने की भी प्रेरणा देती है। यह भावना हमें प्रेरित करती है कि अगर दुनिया के किसी कोने में अत्याचार और जुल्म हो रहा है, तो हम सब उसके खिलाफ खड़े हों और जरूरतमंदों की मदद करें।
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने पद छोड़ने से पूर्व राष्ट्र के नाम अपने आखिरी संबोधन में देश के समक्ष उत्पन्न खतरों को लेकर आगाह किया। 20 जनवरी 2017 को देश के राष्ट्रपति बनने जा रहे डोनाल्ड ट्रंप को नसीहत देते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिकी जनता मुस्लिमों समेत सभी अल्पसंख्यकों और अश्वतों से भेदभाव सहन नहीं करेगा। ओबामा ने माना कि आर्थिक असमानता के कारण नस्लीय विभाजन में तेजी आई है। अल्पसंख्यकों और लैटिन मूल के अमेरिकी नफरती हमलों का शिकार हुए हैं। इस सामाजिक बुराई को दूर करने के लिए उन्होंने ठोस कानून व्यवस्था, शिक्षा, नौकरियों और घर के अलावा हृदयों में एकता लाने की वकालत की। उन्होंने अपनी पत्नी मिशेल को बीते 25 साल से पत्नी, बच्चों की मां होने के साथ-साथ अच्छी दोस्त भी बताया। मिशेल का नाम ले वे रो पड़े। ओबामा का अपनी पत्नी के प्रति अत्यधिक सम्मान की भावना अनुकरणीय है। विश्व के एक सुलझे हुए वल्र्ड लीडर ओबामा की न्यायपूर्ण तथा हृदयों की एकता की नसीहत से अमेरिका सहित सभी देशों को सीख लेनी चाहिए।
(1) शरीर को प्रकृति से पोषण मिलता है तथा जीवनीय शक्ति आत्मा से मिलती है:-
पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और वायु इन पंचतत्वों से इस शरीर की रचना हुई है। शरीर को रोजाना पौष्टिक भोजन देकर तथा पंचतत्वों में संतुलन रखकर हम उसे लम्बी आयु तक हष्ट-पुष्ट तथा निरोग रखते है। लेकिन हम आत्मा को हर पल भोजन न देने की सबसे बड़ी भूल कर बैठते है। इस कारण से आत्मा कमजोर तथा मलिन हो जाती है। हमें यह ज्ञान होना चाहिए कि आत्मा का भोजन क्या है? आत्मा का भोजन लोक कल्याण की पवित्र भावना से अपनी नौकरी या व्यवसाय द्वारा हर पल अपनी आत्मा का विकास करके शरीर को जीवनीय शक्ति देना है। इस प्रयास से आत्मा अपने वास्तविक स्वरूप शुद्ध, दयालु तथा ईश्वरीय प्रकाश से प्रकाशित बनी रहती है। ऐसी पूर्णतया गुणात्मक आत्मा शरीर की मृत्यु के पश्चात् प्रभु मिलन की अपनी अंतिम मंजिल को प्राप्त करती है। मनुष्य द्वारा अपवित्र कार्यों द्वारा मलिन की गयी गुणविहीन कमजोर आत्मा प्रभु मिलन की अपनी अंतिम मंजिल को प्राप्त न करने के कारण युगों-युगों तक विलाप करती है।
फिलीपीन्स के राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर देश में नशीली दवाओं की तस्करी नहीं रूकी तो सैनिक शासन लागू होगा। एक बैठक के दौरान उन्होंने देश में भयावह होती ड्रग्स की समस्या पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि नशीली दवा के कारण देश के 40 लाख लोग प्रभावित हैं। यदि यह समस्या अधिक गंभीर हुई तो मैं मार्शल लाॅ की घोषणा करूंगा। दुतेर्ते न सुप्रीम कोर्ट और कांग्रेस का हवाला देते हुए कहा, हमें इस संबंध में कोई नहीं रोक सकता है। मेरा देश हर चीज से बढ़कर है। नशीली दवा तस्करों के खिलाफ चलाए अभियान में गत वर्ष जुलाई से अब तक छह हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा 10 लाख से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है या उन्होंने आत्मसमर्पण किया है।
(1) ‘होली’ भारतीय समाज का एक प्रमुख त्योहार:
भारत संस्कृति में त्योहारों एवं उत्सवों का आदि काल से ही काफी महत्व रहा है। हमारी संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहाँ पर मनाये जाने वाले सभी त्योहार समाज में मानवीय गुणों को स्थापित करके, लोगों में प्रेम, एकता एवं सद्भावना को बढ़ाते हैं। भारत में त्योहारों एवं उत्सवों का सम्बन्ध किसी जाति, धर्म, भाषा या क्षेत्र से न होकर समभाव से है। यहाँ मनाये जाने वाले सभी त्योहारों के पीछे की भावना मानवीय गरिमा को समृद्धता प्रदान करना होता है। यही कारण है कि भारत में मनाये जाने वाले सभी प्रमुख त्योहारों एवं उत्सवों में सभी धर्मों के लोग आदर के साथ मिलजुल कर मनाते हैं। होली भारतीय समाज का एक प्रमुख त्योहार है, जिसका लोग बेसब्री के साथ इंतजार करते हैं। परम पिता परमात्मा से हमारी प्रार्थना है कि होली का मंगल पर्व हम सभी के जीवन में नई आध्यात्मिक क्रान्ति लाए!
गुटखा खाने से रोका तो किशोर ने लगाई फांसी, स्कूल जाने को लेकर माँ-बेटी के साथ हुई कहा-सुनी से नाराज होकर 11वीं कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा ने पिता की पिस्टल से गोली मारकर आत्महत्या कर ली, प्रिसिपल की फटकार से आहत छात्र ने खुद को गोली से उड़ाया यह कुछ ऐसी घटनाएं हैं जो हाल ही में मीडिया की सुर्खियां बनी। सुसाइड के बढ़ते इस ट्रेंड ने समाज के माथे पर चिंता की लकीरें उकेर दी हैं। सवाल उठ खड़ा हुआ है कि पहले जिस उम्र में बच्चे खेलकूद और दोस्तों में मशगूल रहते थे वही अब ऐसे हालात क्यों बन गए कि बच्चों को नन्ही उम्र में मौत को गले लगाना पड़ रहा है। आए दिन हो रही इन अकाल मौतों का जिम्मेदार कौन है?
बालक परमपिता परमात्मा की सर्वोच्च कृति हैः-
प्रत्येक बालक अवतार की तरह पवित्र, दयालु तथा ईश्वरीय प्रकाश से प्रकाशित हृदय लेकर इस धरती पर अवतरित होता है। परमात्मा की मानव प्राणी पर यह विशेष कृपा है कि वह अपने प्रत्येक मानव पुत्र को पवित्र, दयालु तथा ईश्वरीय प्रकाश का अनमोल उपहार देकर उत्पन्न करता है। इस ईश्वरीय गुण को विकसित करके किसी भी बालक को ईश्वर भक्त बनाने में सबसे ज्यादा योगदान उसके परिवार और उसके विद्यालय का होता है। इसलिए परिवार में माता-पिता तथा विद्यालय में शिक्षक यदि अपनी जिम्मेदारियों को पूरी तरह से निभाये तो ईश्वरीय गुणों से परिपूर्ण बालक सारे विश्व को सुन्दर और सुरक्षित बना सकता है।
नोटबंदी के बंद आयकर कानून में संशोधन का विधेयक आ गया। इस विधेयक ने कई और सवालों को जन्म दे दिया है। इस सबके बीच देश की सभी ईमानदार लोगों का यह अहसास और गहरा हुआ है कि यदि लोकतंत्र की अर्थव्यवस्था को सही तरह से आगे बढ़ना है तो उसे असमान वितरण और काली पूंजी, इन दो कमियों से जल्द से जल्द मुक्ति पानी होगी। नोटबंदी सरीखे सीमित कदमों से काला धन नहीं मिटाया जा सकता। बेनामी चुनावी चंदे को अवैध बना कर सभी दलों को सूचना के अधिकार कानून के दायरे में लाने तथा दलगत कोष को पारदर्शी और दल नेता को जवाबदेह बनाने की जरूरत है। चुनौती हमेशा सुअवसर लेकर भी आती है। ऐसे सुअवसर का भरपूर लाभ उठाना ही समझदारी है। नोटबंदी केवल सरकार के लिए ही नहीं वरन् विपक्ष के लिए भी राष्ट्र की सेवा का सुअवसर है। विपक्ष को भारत की संस्कृति, सभ्यता तथा सबसे बड़े लिखित संविधान की गरिमा तथा गौरव के अनुकूल अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाकर दुनिया के सामने मिसाल प्रस्तुत करनी है। भारत को जगत गुरू की भूमिका पुनः दिलाने का यह सुनेहरा मौका विपक्ष के हाथ है। विपक्ष चाहे तो वह राजनीति अर्थात राज्य के कल्याण के भविष्य के गर्भ में पल रहे शुभ संकेत को पहचानकर संर्कीण तथा दलगत राजनीति से ऊपर अपने को स्थापित कर सकता है। आज भारत की ओर सारी दुनिया बड़ी आशा से देख रही है।
गणतंत्र दिवस परेड के अवसर पर लखनऊ में 26 जनवरी, 2017 को सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ द्वारा निकाली जाने वाली ‘एक कर दे हृदय अपने सेवकों के हे प्रभु’ झांकी का आलेख संविधान का अनुच्छेद 51 क्या है ?
यह सचमुच दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक चलती-फिरती सड़क पर कोई हादसा हो जाए, हादसे का शिकार इंसान मदद के लिए चिल्लाता रहे और लोग उसकी ओर नजर डालकर आगे बढ़ जाएं या तमाशबीन बनकर फोटो और वीडियो उतारने लगें। सब कुछ करें, बस उसकी मदद के लिए आगे न आएं। आखिर यह किस समाज में जी रहें हम? शायद सेल्फी व फोटो की दीवानगी और मदद करने के जज्बे की कमी ने यह सब आम कर दिया है। इस बार हादसा कर्नाटक के हुबली में हुआ, जहां बस की टक्कर से बुरी तरह जख्मी 18 वर्षीय साइकिल सवार काफी देर तक सहायता के लिए चिल्लाता रहा, लेकिन कोई उसकी मदद को न आया। दुर्घटना के शिकार की मदद न करना और उसकी तस्वीरें खींचते रहना, खुद हमारी और हमारी व्यवस्था, दोनों की संवेदनहीनता का नतीजा है। ऐसे मामलों में लोगों को पुलिसिया प्रताड़ना से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने भी व्यवस्था दे रखी है।
(1) प्रभु कार्य करने का ‘सुअवसर’ आया है:
हिन्दू शास्त्रों के अनुसार परमात्मा ने दो प्रकार की योनियाँ बनाई हैं। पहली ‘मनुष्य योनि’ एवं दूसरी ‘पशु योनि’। चैरासी लाख ‘‘विचार रहित पशु योनियों’ में जन्म लेेने के पश्चात् ही परमात्मा कृपा करके मनुष्य को ‘‘विचारवान मानव की योनि’’ देता है। इस मानव जीवन की योनि में मनुष्य या तो अपनी विचारवान बुद्धि का उपयोग करके व नौकरी या व्यवसाय के द्वारा या तो अपनी आत्मा को पवित्र बनाकर परमात्मा की निकटता प्राप्त कर ले अन्यथा उसे पुनः 84 लाख पशु योनियों में जन्म लेना पड़ता हैं। इसी क्रम में बार-बार मानव जन्म मिलने पर भी मनुष्य जब तक अपनी ‘विचारवान बुद्धि’ के द्वारा अपनी आत्मा को स्वयं पवित्र नहीं बनाता तब तक उसे बार-बार 84 लाख पशु योनियों में ही जन्म लेना पड़ता हैं और यह क्रम अनन्त काल तक निरन्तर चलता रहता हैं। केवल मनुष्य ही अपनी आत्मा का विकास कर सकता है पशु नहीं। जो व्यक्ति प्रभु की इच्छा तथा आज्ञा को पहचान जाता है फिर उसे धरती, आकाश तथा पाताल की कोई शक्ति प्रभु कार्य करने से नहीं रोक सकती। सुनो अरे! युग का आवाहन, करलो प्रभु का काज। अपना देश बनेगा सारी, दुनिया का संकटहार।
हमारे पास इतनी कीमती चीजें हैं जिसके बारे में हमको ज्ञान नहीं है। हमारे पास क्या चीजें हैं – हमारे पास हमारा शरीर, हमारा चिन्तन, हमारा वक्त, हमारा श्रम, हमारा पसीना, हमारा आत्मविश्वास, हमारा स्वास्थ्य, हमारा साहस, हमारा ज्ञान-विज्ञान, हमारा हृदय, हमारा मस्तिष्क, हमारा अनुभव, हमारी भावनाएं-संवेदनाएं। हमारे पास ये इतनी बड़ी चीजें हैं कि उसका रूपये से कोई संबंध नहीं है। रूपया तो इसके सामने धूल के बराबर है, मिट्टी के बराबर है। रूपया किसी काम का नहीं है इसके आगे। हमारे पास ये अनमोल चीजें हैं इसे किसी महान उद्देश्य के लिए झोक दें। इस सृष्टि के पीछे छिपी भावना प्रत्येक जीव के कल्याण की है। इस ब्रह्माण्ड में पृथ्वी सहित सभी ग्रह-तारें, सूर्य-चन्द्रमा का आपस में आदान-प्रदान के सहारे ही अस्तित्व बना हुआ है। ब्रह्माण्ड की अब तक की खोज में मनुष्य सबसे बुद्धिमान प्राणी है। मनुष्य के पास इन अनमोल चीजें के बलबुते अर्जित की गयी विभिन्न क्षेत्रों की कुछ ऐतहासिक उपलब्धियों के बारे में आइये जाने।
आठवे शताब्दी के जगविख्यात तत्त्वज्ञानी तथा वेदान्ती आदि श्री शंकराचार्यजी ने अव्दैत सिद्धांत का एकीकरण करके उसे स्थापित किया। इस सिद्धांत के अनुसार आत्मा तथा निर्गुण ब्रह्म इन दोनों में एकरूपता होती है। आगे चलकर इस भारतवर्ष के अनेक ख्यात संतो तथा ऋषिमुनियों ने अव्दैत तत्त्व का प्रचार तथा प्रसार भी किया। उन्नीस तथा बीसवी शताब्दी में कर्नाटक के हुबली शहर में कार्यरत संत श्री सिद्धारूढ स्वामीजी (१८३६ – १९२९) ने इस तत्त्वप्रणाली को बड़ी सरलतासे समझाकर इसका प्रचार किया।
मानव जाति के अन्नदाता किसान को जमीन को कागजी दांव-पेच से आगे एक महान उद्देश्य से भरे जीवन की तरह देखना चाहिए। कागजी दांव-पेच को हम एक किसान की सांसारिक माया कह सकते हैं, लेकिन अब जमीन पर पौधे लगाने की योजना है, ताकि हमारा सांसारिक मोह केवल जमीनी कागज का न रहे, बल्कि जीवन का एक मकसद बनकर अन्नदाता तथा प्रकृति-पर्यावरण से भी जुड़ा रहे। किसान को अपने उत्तम खेती के पेशे का उसे पूरा आनंद उठाना है। सब्सिडी का लोभ और कर्ज की लालसा किसान को कमजोर करती है। जमीन बेचने की लत से छुटकारा तभी मिलेगा, जब हम धरती की गोद में खेलेंगे, पौधे लगाएंगे। जमीन-धरती हमारी माता है। परमात्मा हमारी आत्मा का पिता है। केवल धरती मां के एक टूकड़े से नहीं वरन् पूरी धरती मां से प्रेम करना है। धरती मां की गोद में खेलकूद कर हम बड़े होते हैं। धरती मां को हमने बमों से घायल कर दिया है। शक्तिशाली देशों की परमाणु बमों के होड़ तथा प्रदुषण धरती की हवा, पानी तथा फसल जहरीली होती जा रही है।
वाराणसी आईआईटी बीएचयू के छात्रों ने दो साल की मेहनत के बाद ‘इन्फर्नो’ नाम की कार बनाई है। छात्रों का दावा है कि यह कार पानी, पहाड़, कीचड़, ऊबड़-खाबड़ जैसे हर तरह के रास्तों पर चलने में सक्षम है। तीन लाख रूपये की लागत से तैयार इस कार को मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के छात्रों की टीम ने सहायक प्रोफेसर रश्मिरेखा साहू के मार्गदर्शन में किया। अब यह छात्र चाहते हैं कि यह कार देश की सुरक्षा में तैनात भारतीय सेना के काम भी आए। इससे पहले यह इन्फर्नो इंदौर में सोसायटी आॅफ आॅटोमोटिव इंजीनियरिंग में पहला पुरस्कार जीत चुकी है। इस कार में 305 सीसी ब्रिग्स और स्ट्रैटन इंजन लगा है जो उसे रफ्तार देने में मदद करता है। इसके साथ ही ड्राइवर की सुरक्षा और कन्फर्ट का भी ख्याल रखा गया है। 50 डिग्री के पहाड़ पर भी यह कार चल सके, इसके लिए आगे के पहियों को बड़ा रखा गया है।
अमेरिकी खुफिया विभाग ने अपनी एक नई रिपोर्ट में रूस के राष्ट्रपति पर गंभीर आरोप लगाए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिकी राष्ट्रपति पद की दौड़ में जीत हासिल करने में डोनाल्ड ट्रंप की मदद के लिए और उनकी विपक्षी हिलेरी क्लिंटन को बदनाम करने के लिए एक अभियान चलाने का आदेश दिया था। इसका मूल उद्देश्य अमेरिकी के लोकतंत्र में जनता का विश्वास को कमजोर करना था। व्हाइट हाउस ने 31 वर्षीय रूसी लड़की अलिसा सेवहेंको और उनकी कंपनी ‘जेडओआर’ का नाम ब्लैकलिस्ट किया है। व्हाइट हाउस के मुताबिक अलिसा एक हैकर हैं और उसकी मदद से ही रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों को प्रभावित करने की कोशिश की। अलिसा व उनकी कंपनी ने व्हाइट हाउस के दावे का खारिज किया है।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51 क्या है? संविधान के अनुच्छेद 51 के अनुसार भारत का गणराज्य (क) अन्तर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की अभिवृद्धि करेगा (ख) राष्ट्रों के बीच न्यायसंगत और सम्मानपूर्ण संबंधों को बढ़ाने का प्रयत्न करेगा, (ग) संसार के सभी राष्ट्र अन्तर्राष्ट्रीय कानून का सम्मान करें ऐसा प्रयत्न करेगा तथा (घ) अन्तर्राष्ट्रीय विवादों का मध्यस्थता द्वारा समाधान हो, इसका प्रयत्न करेगा।
‘‘स्कूल चार दीवारों वाला एक ऐसा भवन है जिसमें कल का भविष्य छिपा है’’ आने वाले समय में विश्व में एकता एवं शांति स्थापित होगी या अशांति एवं अनेकता की स्थापना होगी, यह आज स्कूलों में बच्चों को दी जाने वाली शिक्षा पर निर्भर करता है। एक शिल्पकार एवं कुम्हार की भाँति शिक्षकों का यह प्रथम दायित्व एवं कत्र्तव्य है कि वह बच्चों को आध्यात्मिक गुणों से इस प्रकार से संवारे और सजाये कि उनके द्वारा शिक्षित किये गये बच्चे ‘विश्व का प्रकाश’ बनकर सारे विश्व को आध्यात्मिक प्रकाश से प्रकाशित कर सकें। महर्षि अरविंद ने शिक्षकों के सम्बन्ध में कहा है कि ‘‘शिक्षक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं। वे संस्कारों की जड़ों में खाद देते हैं और अपने श्रम से सींचकर उनमें शक्ति निर्मित करते हैं।’’