Homeअतिथि पोस्ट‘प्रभु कार्य’ करने का ‘सुअवसर’ आया है!

‘प्रभु कार्य’ करने का ‘सुअवसर’ आया है!

‘प्रभु कार्य’ करने का ‘सुअवसर’ आया है!

(1) प्रभु कार्य करने का ‘सुअवसर’ आया है:

हिन्दू शास्त्रों के अनुसार परमात्मा ने दो प्रकार की योनियाँ बनाई हैं। पहली ‘मनुष्य योनि’ एवं दूसरी ‘पशु योनि’। चैरासी लाख ‘‘विचार रहित पशु योनियों’ में जन्म लेेने के पश्चात् ही परमात्मा कृपा करके मनुष्य को ‘‘विचारवान मानव की योनि’’ देता है। इस मानव जीवन की योनि में मनुष्य या तो अपनी विचारवान बुद्धि का उपयोग करके व नौकरी या व्यवसाय के द्वारा या तो अपनी आत्मा को पवित्र बनाकर परमात्मा की निकटता प्राप्त कर ले अन्यथा उसे पुनः 84 लाख पशु योनियों में जन्म लेना पड़ता हैं। इसी क्रम में बार-बार मानव जन्म मिलने पर भी मनुष्य जब तक अपनी ‘विचारवान बुद्धि’ के द्वारा अपनी आत्मा को स्वयं पवित्र नहीं बनाता तब तक उसे बार-बार 84 लाख पशु योनियों में ही जन्म लेना पड़ता हैं और यह क्रम अनन्त काल तक निरन्तर चलता रहता हैं। केवल मनुष्य ही अपनी आत्मा का विकास कर सकता है पशु नहीं। जो व्यक्ति प्रभु की इच्छा तथा आज्ञा को पहचान जाता है फिर उसे धरती, आकाश तथा पाताल की कोई शक्ति प्रभु कार्य करने से नहीं रोक सकती। सुनो अरे! युग का आवाहन, करलो प्रभु का काज। अपना देश बनेगा सारी, दुनिया का संकटहार।


(2) गाँधी जी ने सारे समाज की सेवा की:

गाँधीजी ने जीवन-पर्यन्त प्रभु की इच्छा तथा आज्ञा को पहचान कर प्रभु का कार्य करते हुए सारे समाज की सेवा की।

गाँधी जी ने अनेक यातनायें धैर्यपूर्वक सहन की तथा अपनी सेवा भावना तथा सत्य एवं अहिंसा के बल पर देश को आजाद कराया।

गाँधी की आंधी में भारत के अलावा संसार के अन्य 54 देश भी अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त हो गये। गांधी जी ने सदैव विभिन्न धर्मों के प्रति सहिष्णुता तथा एकता का संदेश दिया। गांधीजी अपने सत्य एवं अहिंसा के विचारों के कारण सारे विश्व में सदैव के लिए अमर हो गये। आज सारा विश्व उनके जन्म दिवस 2 अक्टूबर को अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाता है।

(3) मदर टेरेसा ने साधारण जीवन जीते हुए मानवता की व्यापक सेवा की:

मेसेडोनिया गणराज्य की मूल निवासी मदर टेरेसा ने भारत को अपनी ‘सेवा-भूमि’ एवं ‘कर्म-भूमि’ बनाया। प्रभु-प्रेम से ओतप्रोत अपनी निःस्वार्थ सेवा और करूणा से मदर टेरेसा ने सिर्फ भारतीयों के मन में ही अपना स्थान नहीं बनाया, वरन् उन्होंने समूचे विश्व के हृदय को जीत लिया। मदर टेरेसा सही मायनों में विश्व नागरिक थी। महज आठ साल की उम्र में उनके ऊपर से पिता का साया उठ गया था। घोर आर्थिक कष्टों के बावजूद वह प्रभु के कार्य में पूरी आस्था से लगी रही। प्रभु की इच्छा और आज्ञा को पहचान कर उन्होंने साधारण जीवन जीते हुए तथा भारी कष्ट उठाते हुए बीमार, गरीबों, असहायों तथा मानसिक और शारीरिक रूप से असमर्थ बच्चों एवं व्यक्तियों की जीवन-पर्यन्त व्यापक स्तर पर सेवा की। मदर टेरेसा अपनी दया, करूणा तथा संवेदना से ओतप्रोत महान सेवा कार्यों के कारण सारे संसार में सदा-सदा के लिए अमर हो गई। वह सारे जगत् की करूणामयी मदर (माता) बन गई। मदर टेरेसा द्वारा स्थापित चेरिटी संस्थायें आज लाखों असहाय बच्चों, वृद्धों तथा बीमारों की व्यापक रूप से सेवा कर रही हैं।

(4) अब्राहम लिंकन ने समाज की भलाई के लिए अपना सारा जीवन समर्पित कर दिया:

अब्राहम लिंकन एक गरीब मोची के घर अमेरिका में पैदा हुए थे। प्रभु की इच्छा और आज्ञा को पहचान कर जीवन में भारी असफलताओं तथा कष्टों का सामना करते हुए अमेरिका के सबसे लोकप्रिय राष्ट्रपति बने। उन्होंने सारे विश्व से गोरे-काले का भेद मिटा दिया। अब्राहम लिंकन की मानवीय विचारों की आंधी में विश्व से अनेक राजाओं के राज्य खत्म हो गये तथा उसके स्थान पर उन्होंने जनतंत्र अर्थात् जनता का राज्य, जनता के द्वारा तथा जनता के लिए स्थापित किया। उन्होंने समाज की भलाई के लिए अपना सारा जीवन समर्पित कर दिया। अब्राहम लिंकन को आज भी सारा विश्व बड़े ही सम्मान तथा आदर की दृष्टि से देखता है।


(5) बच्चों को इस युग का ज्ञान तथा बुद्धिमत्ता देकर पूर्णतया गुणात्मक व्यक्ति बनाये:

परिवार, विद्यालय तथा समाज तीनों को मिलकर बच्चों को भौतिक, सामाजिक तथा आध्यात्मिक शिक्षाओं का संतुलित ज्ञान कराना चाहिए। बच्चों को यह बतलाये कि ईश्वर एक है, धर्म एक है तथा मानव जाति एक है। इसके साथ ही हमें बच्चों को बाल्यावस्था से ही यह संकल्प कराना चाहिए कि वे विश्व के अनेक महापुरूषों के जीवन से प्रेरणा ग्रहण करते हुए विश्व की सारी मानवजाति की भलाई के लिए ही अपने ज्ञान और बुद्धिमत्ता का उपयोग करेंगे। यदि बच्चे बाल्यावस्था से ही सारे अवतारों की मुख्य शिक्षाओं को तथा महापुरूषों के प्रभु की राह में उठाये गये कष्टों से शिक्षा ग्रहण कर लें तो वे टोटल क्वालिटी पर्सन बन जायेंगे। इस नयी सदी में विश्व में एकता तथा शान्ति लाने के लिए आज के ज्ञान तथा बुद्धिमत्ता वाले टोटल क्वालिटी पर्सन (पूर्णतया गुणात्मक व्यक्ति) की आवश्यकता है।

धार्मिक है लेकिन नहीं है नैतिक बहुत बड़ा आश्चर्य है?– डा. जगदीश गांधी, शिक्षाविद् एवं
संस्थापक-प्रबन्धक, सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ