कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे,
निर्धन के घर भी आ जाना ।
जगजननी जय! जय! माँ! जगजननी जय! जय!
भयहारिणी, भवतारिणी, भवभामिनि जय जय। जगजननी ..
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी
तुम को निस दिन ध्यावत
तौलगि जिनि मारै तूँ मोहिं ।
जौलगि मैं देखौं नहिं तोहिं ॥टेक॥
दाती दे दरबार कंजकां खेडदियां
मैय्या दे दरबार कंजकां खेडदियां
दुर्गा है मेरी माँ अम्बे है मेरी माँ
दुर्गा है मेरी माँ अम्बे है मेरी माँ
पूजां कंजकां मैं लौंकड़ा मनावां
माई मैंनूं लाल बख्स दे
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||
मत्थे रोलियां, गला दे विच अट्टे
मारे मेहर दे जिनां नूं माई छिट्टे
मन उपवन के फूल माँ तुमको चढ़ाऊँ कैसे
मन उपवन के फूल माँ तुमको चढ़ाऊँ कैसे
माँ है ममता तेरी माँ है ममता तेरी
जो कुछ है सबकुछ तेरा ही दिया है
मैया तेरा बना रहे दरबार
बना रहे दरबार मैया तेरा
संग न छाँडौं मेरा पावन पीव ।
मैं बलि तेरे जीवन जीव ॥टेक॥
हे माँ मुझको ऐसा घर दो जिसमें तुम्हारा मन्दिर हो,
ज्योति जले दिन रैन तुम्हारी, तुम मन्दिर के अन्दर हो ।