देश भक्ति
यह घटना मुगलकाल की है| एक बार मुगल बादशाह शाहजहाँ की बेटी सख्त बीमार हुई| राजदरबार के वैधों और हकीमों का सब तरह का इलाज कराया गया, परंतु शहज़ादी सब तरह की चिकित्सा के बावजूद भी ठीक नहीं हुई|
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शहज़ादी की बीमारी की खबर चारों और फैल गई| राजधानी में चिंता की लहर फैल गई|
एक दिन एक दरबारी ने बादशाह की उदासी देखकर कहा- “बादशाह सलामत! डॉ० बाटन नामक एक प्रसिद्ध अंग्रेज डॉ० है, उनके हाथ में शफा है| वह सब तरह की बीमारियों का इलाज करते हैं|” बादशाह ने डॉ० बाटन को बुलाया| उनके इलाज से जल्दी ही शहज़ादी का मर्ज चला गया और वह सब तरह से भली-चंगी हो गई| बादशाह ने डॉ० बाटन को बुलवा भेजा| उन्हें कहा- “जमीन, जायदाद, रुपया, हीरे, जवाहरात जो चीजें वे चाहे माँग ले| इस इलाज के बदले उन्हें खुशी से दे दिया जाएगा|”
उस अंग्रेज डॉक्टर ने जो कुछ कहा है, वह इतिहास के सुनहरे अक्षरों में सदा के लिए अंकित हो गया| उस अंग्रेज चिकित्सक ने कहा- “मुझे न जमीन-जायदाद चाहिए न रुपये, अशर्फियाँ न हीरे-जवाहरात या और कोई दौलत चाहिए| बादशाह, यदि आप मेरे हुनर से, मेरी दवा से खुश हैं तो मुझे अपने लिए कुछ नहीं चाहिए| मुझे अंग्रेज कौम के लिए छोटी-सी रियासत चाहिए| अंग्रेज हिंदुस्तान में जहाँ कही भी तिजारत के लिए जाएँ, उन्हें हर एक स्थान पर बिना रोक टोक के व्यापार करने की छूट दी जाए|”
इतिहास साक्षी है कि उस अंग्रेज डॉ० की इस छोटी-सी माँग के सहारे अंग्रेज व्यपारी सारे देश में छा गए और कुछ ही वर्षों में यहाँ के शासक बन बैठे| इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि प्रत्येक मनुष्य को अपनी कौम के प्रति इतना ही वफ़ादार होना चाहिए|