Homeशिक्षाप्रद कथाएँसच्ची मित्रता

सच्ची मित्रता

एक जंगल में झील किनारे कछुआ, कठफोड़वा व हिरण मित्र भाव से रहते थे|

एक दिन एक शिकारी ने उनके पैरों के निशान देखकर उनके रास्ते में पड़नेवाले पेड़ पर एक फंदा लटका दिया और अपने झोपड़ी में चला गया|

थोड़ी ही देर बाद हिरण मस्ती में झूमता हुआ उधर से निकला और फंदे में फंस गया|

‘बचाओ|’ वह ज़ोर से चिल्लाया|

उसकी पुकार सुनकर कठफोड़वा के साथ कछुआ वहाँ आ गया|

कठफोड़वा कछुए से बोला, ‘मित्र तुम्हारे दाँत मज़बूत है| तुम इस फंदे को काँटो| मैं शिकारी को रोकता हूँ|’

कछुआ फंदा काटने में लग गया| उधर कठफोड़वा शिकारी की झोपड़ी की तरफ़ उड़ चला| उसने योजना बनाई कि जैसे ही शिकारी झोपड़ी से बाहर निकलेगा, वह उसे चोंच मारकर लहुलुहान कर देगा|

उधर शिकारी ने भी जैसे ही हिरण की चीख सुनी तो समझ गया कि वह फंदे में फँस चुका है| वह तुरंत झोपड़ी से बाहर निकला और पेड़ की ओर लपका|

लेकिन कठफोड़वे ने उसके सिर पर चोंच मारनी शुरू कर दी| शिकारी अपनी जान बचाकर फिर झोपड़ी में भागा और पिछवाड़े से निकलकर पेड़ की ओर बढ़ा|

उधर कठफोड़वा उससे पहले ही पेड़ के पास पहुँच गया था| उसने देखा कि कछुआ अपना काम कर चुका है| उसने हिरण और कछुए से कहा, ‘मित्रों, जल्दी से भागो| शिकारी आने ही वाला होगा|’

यह सुनकर हिरण वहाँ से भाग निकला| लेकिन कछुआ शिकारी के हाथ लग गया| शिकारी ने कछुए को थैले में डाल लिया, और बोला इसकी वजह से हिरण मेरे हाथ से निकल गया| आज इसको ही मारकर खाऊँगा|’

उधर हिरण ने सोचा उसका मित्र पकड़ा गया है| उसने मेरी जान बचाई थी, अब मेरा भी फ़र्ज बनता है कि मैं उसकी मदद करूँ| यह सोचकर वह शिकारी के रास्ते में आ गया|

शिकारी ने हिरण को देखा तो थैले को वही फेंककर हिरण के पीछे भागा| हिरण अपनी पुरानी खोह की ओर भाग छूटा| शिकारी उसके पीछे-पीछे था|

भागते-भागते हिरण अपनी खोह में घुस गया| उसने सोचा एक बार शिकारी इस खोह में घुस गया तो उसका बाहर निकलना मुश्किल हो जाएगा| थोड़ी ही देर में शिकारी खोह के पास पहुँचा| उसने सोचा अब हिरण भागकर कहाँ जाएगा| वह भी खोह के अंदर घुस गया| खोह के अंदर भूल-भुलैया जैसे रास्ते थे| शिकारी उन रास्तों में भटक गया|

हिरण दूसरे रास्ते से निकलकर थैले के पास जा पहुँचा और कछुए को आज़ाद कर दिया| उसके बाद वे तीनों मित्र वहाँ से सही-सलामत निकल गए|

शिक्षा: मित्रता की परख मुसीबत के समय ही होती है| मित्रता का खाली दम ही नही भरना चाहिए, मौके-बेमौके उसे सिद्ध भी करना चाहिए| जैसे हिरण व कछुए ने एक-दूसरे के लिए किया और कठफोड़वे ने उनकी मदद की| सच्चा मित्र वही जो मुसीबत में काम आए|