महारानी द्रोपदी और महात्मा सुपच
जब महाभारत की लड़ाई ख़त्म हुई तो भगवान् कृष्ण ने पाण्डवों को बुलाकर कहा कि अश्वमेध यज्ञ कराओ, प्रायश्चित करो, नहीं तो नरकों में जाओगे|
जब महाभारत की लड़ाई ख़त्म हुई तो भगवान् कृष्ण ने पाण्डवों को बुलाकर कहा कि अश्वमेध यज्ञ कराओ, प्रायश्चित करो, नहीं तो नरकों में जाओगे|
सिकन्दरे-आज़म, जिसको विश्व-विजयी कहते हैं, जब सारी दुनिया को जीतता हुआ भारत के उत्तर-पश्चिम ब्यास नदी के पास आया, तो फौज़ ने आगे बढ़ने से इनकार कर दिया|
नामदेव जी एक पूर्ण सन्त हुए हैं| उनके गुरु ने उन्हें नाम की दौलत दी जो संसार में जब से अमूल्य वस्तु है|
एक बड़ा ग़रीब दुकानदार था| उसका गुज़ारा नहीं होता था| इत्तफ़ाक़ से एक दिन एक महात्मा उसके पास आये| उस दुकानदार ने बड़े प्रेम से उनकी सेवा की|
एक महात्मा दुकान पर खड़ा वहाँ की चीज़ों को देख रहा था कि उसे एक ख़याल आया| अपने मन से बोला कि तेरी बहुत तारीफ़ सुनी है, कुछ अपनी करतूत तो दिखा! मन ने कहा, “ठहरो, दिखाता हूँ|”
कहा जाता है कि कबीर साहिब जब बाहर जाया करते थे तो एक आदमी उन्हें अक्सर खेत में बैठा मिलता था| एक दिन कबीर साहिब ने उससे कहा कि ख़ाली बैठे रहते हो, परमात्मा का भजन किया कर, जिससे तुझे फ़ायदा होगा|
एक ऋषि ने इतनी तपस्या की कि स्वर्ग के राजा इन्द्र को डर लगने लगा कि कहीं ऋषि उसका सिंहासन न छीन ले|
एक पण्डित बैलगाड़ी पर किताबें लादकर कबीर साहिब के साथ वाद-विवाद करने काशी में उनके घर गया| उस समय कबीर साहिब कहीं बाहर गये हुए थे|
कहा जाता है कि निज़ामुद्दीन औलिया के बाईस शिष्य थे| हरएक चाहता था कि गद्दी उसे मिले| औलिया साहिब ने उनको परखना चाहा कि कौन सबसे योग्य और सच्चा शिष्य है|