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ज़िक्र है कि बुल्लेशाह बड़ा आलिम-फ़ाज़िल था| चालीस साल खोज की, बहुत-से शास्त्र और धार्मिक किताबें पढ़ीं, अनेक महात्माओं और नेक लोगों से वार्तालाप किया लेकिन कुछ हासिल न हुआ|

शेख़ फ़रीद को बहुत कम आयु में ही रूहानियत की गहरी लगन थी| उन्होंने ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती का नाम सुना हुआ था जो राजस्थान के एक शहर अजमेर में रहते थे|

ऋषि वेदव्यास का पुत्र शुकदेव जिसको गर्भ में ही ज्ञान था, राजा जनक को गुरु धारण करने के लिए उसके दरबार में तेरह बार गया| शुकदेव के पिता ने उसे यह बताया था कि इस समय राजा जनक ही पूर्ण गुरु हैं, इसलिए गुरु धारण करने के लिए उसके पास जाओ|

एक स्त्री थी| उसके रिश्तेदारों में एक अच्छा कमाई वाला महात्मा था| कुछ तो कमाई और कुछ बेफ़िक्री और बेपरवाही के फलस्वरूप उसके चेहरे पर हमेशा रौनक़ और ख़ुशी रहती थी|