बालक ने आग में क्या देखा?
गुरु नानक साहिब के समय संगत का नियम था कि वह सुबह-सवेरे गुरु साहिब की हुजूरी में भक्ति-भाव के शब्द पढ़ती थी|
गुरु नानक साहिब के समय संगत का नियम था कि वह सुबह-सवेरे गुरु साहिब की हुजूरी में भक्ति-भाव के शब्द पढ़ती थी|
फ़रीदुद्दीन अत्तार, जो बाद में ईरान का महान सूफ़ी सन्त बना और जिसका फ़ारसी का कलाम संसार में मशहूर है, पहले इत्र बेचने की दूकान किया करता था|
मेवाड़ की रानी मीराबाई पन्द्रवहीं शताब्दी के मशहूर सन्त गुरु रविदास जी की शिष्या थीं| उनकी सखियाँ-सहेलियाँ गुरु रविदास जी पर नाक-मुँह चढ़ाती थीं|
कबीर साहिब कहते हैं कि मालिक के नाम का सुमिरन ऐसी एकाग्रता से करना चाहिए जैसे एक कीड़ा भृंगी की आवाज़ में अपने आप को लीन करके उसी का ही रूप धारण कर लेता है|
मनुष्य के अन्दर दो बड़े गुण हैं| एक भय और दूसरा भाव यानी डर और प्यार| जिसको परमात्मा का डर है, उसको परमात्मा से प्यार भी है| जिसको परमात्मा से प्यार है, उसको परमात्मा का डर भी है|
जल्हण नौशहरा में एक अच्छा कमाई वाला महात्मा हुआ है| ज़िक्र है कि उसके एक लड़की थी|
एक महात्मा था जिसको अहंकार हो गया कि दुनिया में उसके मुक़ाबले कोई दूसरा महात्मा नहीं| उसने ख़ुदा से कहा कि अगर कोई मुझसे बड़ा है तो मुझे बताओ|
एक बार उद्धव ने भगवान् कृष्ण से कहा कि इन जीवों को आप अपने देश क्यों नहीं ले चलते? आप सर्व-समर्थ हैं और जो चाहो कर सकते हैं|
‘तज़करात-उल-औलिया’ मुसलमानों की एक रूहानी पुस्तक है| उसमें एक छोटी-सी कहानी आती है कि एक बार एक फ़क़ीर जब सफ़र पर निकला तो उसने साथ में रोटी बाँध ली कि वह रास्ते में खायेगा|
राजा परीक्षित ने वेदव्यास से प्रश्न किया कि क्या मेरे बुज़ुर्ग मन के इतने ग़ुलाम थे कि इसे क़ाबू करने में असमर्थ रहे?