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फ़रीदुद्दीन अत्तार, जो बाद में ईरान का महान सूफ़ी सन्त बना और जिसका फ़ारसी का कलाम संसार में मशहूर है, पहले इत्र बेचने की दूकान किया करता था|

कबीर साहिब कहते हैं कि मालिक के नाम का सुमिरन ऐसी एकाग्रता से करना चाहिए जैसे एक कीड़ा भृंगी की आवाज़ में अपने आप को लीन करके उसी का ही रूप धारण कर लेता है|

मनुष्य के अन्दर दो बड़े गुण हैं| एक भय और दूसरा भाव यानी डर और प्यार| जिसको परमात्मा का डर है, उसको परमात्मा से प्यार भी है| जिसको परमात्मा से प्यार है, उसको परमात्मा का डर भी है|

एक महात्मा था जिसको अहंकार हो गया कि दुनिया में उसके मुक़ाबले कोई दूसरा महात्मा नहीं| उसने ख़ुदा से कहा कि अगर कोई मुझसे बड़ा है तो मुझे बताओ|

‘तज़करात-उल-औलिया’ मुसलमानों की एक रूहानी पुस्तक है| उसमें एक छोटी-सी कहानी आती है कि एक बार एक फ़क़ीर जब सफ़र पर निकला तो उसने साथ में रोटी बाँध ली कि वह रास्ते में खायेगा|