धर्मदास का भोज
धर्मदास एक अमीर व्यापारी था और कबीर साहिब के काफ़ी निकट था क्योंकि पिछले कई जन्मों में भी उन का साथी रह चुका था| कबीर साहिब उसे मुक्त करना चाहते थे|
धर्मदास एक अमीर व्यापारी था और कबीर साहिब के काफ़ी निकट था क्योंकि पिछले कई जन्मों में भी उन का साथी रह चुका था| कबीर साहिब उसे मुक्त करना चाहते थे|
एक स्त्री थी| उसके रिश्तेदारों में एक अच्छा कमाई वाला महात्मा था| कुछ तो कमाई और कुछ बेफ़िक्री और बेपरवाही के फलस्वरूप उसके चेहरे पर हमेशा रौनक़ और ख़ुशी रहती थी|
महमूद ग़ज़नवी ने हिन्दुस्तान पर सत्रह हमले किये और बहुत सा धन-दौलत, सोना-चाँदी, हीरे-जवाहरात लूटकर ग़ज़नी ले गया|
दिल्ली में एक महाजन था| उसे साधु-सन्तों के सत्संग सुनने का बहुत शौक़ था| वह रोज़ सत्संग में जाता और अपने लड़के को दुकान पर छोड़ जाता|
एक दिन कबीर साहिब गंगा के किनारे घूम रहे थे| उन्होंने देखा कि एक पपीहा प्यास से निढाल होकर नदी में गिर गया है|
कहते हैं कि एक बार अकबर बादशाह और बीरबल कहीं जा रहे थे| कुछ फ़ासले पर उन्हें एक जाट आता नज़र आया|
राजा पीपा एक धनी राजपूत था और कुछ वर्षों से राज-गद्दी पर बैठा था| एक बार उसके दिल में परमार्थ का चाव पैदा हुआ क्योंकि उसे जीवन में ख़ालीपन-सा महसूस होने लगा था|
एक फ़क़ीर था जो अपने आप को पैग़म्बर समझता था| एक बार उसके मन में ख़याल आया कि मैं पैग़म्बर हूँ, ख़ुदा मुझसे ख़ुश है; मुझसे बढ़कर उसका कोई और प्यारा नहीं|