सन्त कबीर का घर
एक पण्डित बैलगाड़ी पर किताबें लादकर कबीर साहिब के साथ वाद-विवाद करने काशी में उनके घर गया| उस समय कबीर साहिब कहीं बाहर गये हुए थे|
एक पण्डित बैलगाड़ी पर किताबें लादकर कबीर साहिब के साथ वाद-विवाद करने काशी में उनके घर गया| उस समय कबीर साहिब कहीं बाहर गये हुए थे|
कहा जाता है कि निज़ामुद्दीन औलिया के बाईस शिष्य थे| हरएक चाहता था कि गद्दी उसे मिले| औलिया साहिब ने उनको परखना चाहा कि कौन सबसे योग्य और सच्चा शिष्य है|
गुरु नानक साहिब जब काबा में जो मक्का शरीफ़ में है, काज़ी रुकनूद्दीन से मिले, तो उसने पूछा कि ख़ुदा का महल कैसा है? उसकी कितनी खिड़कियाँ हैं?
एक फ़क़ीर का ज़िक्र है| वह घोड़े पर बैठकर कहीं जा रहा था| उसका एक तालिब यानी शिष्य जंगल में उसकी याद में बैठा हुआ उसके दर्शनों के लिए तड़प रहा था|
जीवों को समझाने के लिए महात्माओं के अलग-अलग तरीक़े होते हैं| ज़िक्र है कि एक बादशाह का लड़का पढ़ाई से जी चुराता था, उसको कबूतर रखने का बहुत शौक़ था|
दिल्ली में नसीरुद्दीन महमूद एक मुसलमान बादशाह हुआ है| उसका नियम था कि ख़ज़ाने से अपने लिए कुछ ख़र्च न करना, बल्कि हक़ की कमाई से अपना गुज़ारा करना|
बुल्लेशाह सैयद थे| उनकी बिरादरी में किसी की शादी थी| बुल्लेशाह ने अपने पीर इनायत शाह की सेवा में अर्ज़ की, “हज़रत! हमारे घर शादी है, दर्शन देने की कृपा करो|” इनायत शाह की सेवा में एक अराईं लड़का रहता था, उन्होंने उसको भेज दिया|
एक बार गुरु नानक साहिब ने अपने सेवकों को मुर्दा खाने के लिए कहा| देखने में यह मुनासिब हुक्म नहीं था|
कबीर साहिब जुलाहा थे| राजा बीर सिंह राजपूत उनका सेवक था| उसका उनके साथ बहुत प्यार था|