सन्त वचन पलटे नहीं
जब गुरु गोबिन्द सिंह साहिब पहली बार मालवा गये, वह उजाड़ इलाक़ा था, बारिश की कमी के कारण वहाँ गेहूँ नहीं होता था, जौ और चने होते थे|
जब गुरु गोबिन्द सिंह साहिब पहली बार मालवा गये, वह उजाड़ इलाक़ा था, बारिश की कमी के कारण वहाँ गेहूँ नहीं होता था, जौ और चने होते थे|
भागवत में एक कथा आती है कि एक बीमार और कमज़ोर बकरी अपने घर से भटककर दूर किसी घने जंगल में चली गयी|
एक बार धृतराष्ट्र ने भगवान् कृष्ण से पूछा कि मैं अन्धा क्यों हूँ| मुझे पिछले सौ जन्मों की तो ख़बर है| इन सौ जन्मों में मैंने ऐसा कर्म नहीं किया जिसके कारण मैं जन्म से अन्धा हूँ|
एक बार एक शेरनी बच्चे को जन्म देकर शिकार को चली गयी| पीछे से भेड़ चरानेवाला पाली आ गया| उसने बच्चे को उठा लिया और भेड़ का दूध पिला-पिला कर उसे पाल लिया| अब वह बच्चा बड़ा हो गया|
एक बार एक मुसलमान फ़क़ीर एक पेड़ की ठंडी छाया में बैठे थे और उनके आस-पास उनके शिष्य तथा बहुत से और लोग भी थे|
एक बार अकबर बादशाह आगरा के आस-पास के गाँव में घुड़-सवारी करता-करता सैर को निकला|
उत्तरी भारत के एक गाँव में एक बुज़ुर्ग फ़क़ीर रहते थे| गाँवों के लोग अकसर उन से सलाह लेने जाते थे|
एक बार का ज़िक्र है, एक स्त्री किसी महापुरुष की सेवा किया करती थी| महात्मा का डेरा नदी के पार था| उसका यह नियम था कि हर रोज़ महात्मा के लिए दूध ले जाना, सत्संग सुनना और वापस आ जाना|
एक बार अकबर बादशाह की अपने वज़ीर बीरबल से बहस हो गयी| बीरबल ने कहा कि आदमी का उस्ताद आदमी है| अकबर बोला कि नहीं, क़ुदरत ने आदमी को इस तरह बनाया है कि जन्म से ही उसमें सब गुण मौजूद होते हैं|