शुक्रदेव और राजा जनक
शुक्रदेव ऋषि वेदव्यास का पुत्र था| चौदह कला सम्पूर्ण था और उसे गर्भ में ही ज्ञान हो गया था|
शुक्रदेव ऋषि वेदव्यास का पुत्र था| चौदह कला सम्पूर्ण था और उसे गर्भ में ही ज्ञान हो गया था|
शिव जी के लड़के कार्तिकेय और गणेश जी ने एक दिन शिव जी से पूछा कि आप अपनी गद्दी किसको देंगे?
एक मिरासी ग़लती से मस्जिद में जा पहुँचा| वहाँ पाँच नमाज़ी मौजूद थे| उन्होंने कहा कि आओ, वुज़ू करके नमाज़ पढ़ें| मिरासी ने पूछा, “नमाज़ से क्या फ़ायदा होता है?”
जब राजा जनक स्थूल शरीर को त्यागकर अपने धाम की ओर जा रहे थे, रास्ते में क्या देखते हैं कि नरकों में जीव चल रहे हैं और चीख़-पुकार कर रहे हैं|
गुरु गोबिन्द सिंह जी का दरबार लगा हुआ था| सिक्खी का मज़मून चल रहा था| गुरु साहिब ने कहा कि गुरु का शिष्य कोई-कोई है, बाक़ी सब अपने मन के ग़ुलाम हैं या स्त्री और बच्चों के ग़ुलाम हैं|
ज़िक्र है कि मुसलमानों की हुकूमत के दिनों में एक ऐसा समय आया जब गुरु गोबिन्द सिंह जी को मजबूरन आनन्दपुर छोड़ना पड़ा|
शेख शिबली के पास दो आदमी बैअत होने (नाम लेने) के लिए आये| आपने अन्तर्दृष्टि से देखा कि उनमें से एक अधिकारी है और एक अनाधिकारी|
एक बार का ज़िक्र है, गुरु नानक साहिब के पास आपके बड़े लड़के श्री चन्द जी बैठे थे| आधी रात का समय था|
जब हज़रत जुनैद बग़दादी काबा को जा रहा था तो उसने रास्ते में एक कुत्ते को देखा, जो ज़ख्मी हालत में पड़ा था|