श्रावण मास माहात्म्य – अध्याय-13 (दुर्गा-गणपति की व्रत कथा)
सनत्कुमार बोले हे प्रभु! वह कौनसा व्रत है जिससे अतुल्य सौभाग्य प्राप्त होता है तथा मनुष्य पुत्र-पौत्रादि, धन-ऐश्वर्यादि प्राप्त कर अनंतकाल तक सुखी रहता है|
सनत्कुमार बोले हे प्रभु! वह कौनसा व्रत है जिससे अतुल्य सौभाग्य प्राप्त होता है तथा मनुष्य पुत्र-पौत्रादि, धन-ऐश्वर्यादि प्राप्त कर अनंतकाल तक सुखी रहता है|
शिव बोले-हे वत्स! अब मैं तुम्हें श्रावण मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली तृतीया तिथि को किए जाने वाले उत्तम तथा पवित्र ‘स्वर्ण-गौरी व्रत’ के बारे में बतलाता हूँ|
भगवान शिव से सनत्मकुमार ने कहा-हे प्रभु! अब मैं आपके श्रीमुख से श्रावण मास में आने वाली तिथियों का माहात्म्य जानना चाहता हूँ|
भगवान शिव बोले-हे सनत्कुमार! अब मैं तुम्हें शनिवार व्रत की कथा कहता हूँ| उससे मन्दता दूर हो जाती है|
शिव बोले – हे सनत्कुमार! अब मैं तुम्हें शुक्रवार व्रत की कथा सुनाता हूं| ध्यानपूर्वक सुनों क्योंकि उसके श्रवण मात्र से ही प्राणी मरणोपरांत भव-बन्धन से मुक्त हो जाता है|
शिव बोले – हे सनत्कुमार! अब मैं तुम्हें बुध तथा बृहस्पतिवार व्रत के संदर्भ में बतलाता हूँ| इस व्रत को नियम, भक्ति और श्रद्धा से पूरा करने पर सर्वोत्तम सिद्धि मिलती है|
भगवान शिव बोले-हे ब्रह्मापुत्र! अब मैं तुम्हें श्रवण के मंगलवार व्रत की कथा सुनाता हूँ| तुम एकाग्र भाव से सुनो|
सनत्कुमार बोले-हे भगवान्! आपने अति उत्तम माहात्म्य सुनाया है| अब आप मुझे श्रावण मास के सोमवार की व्रत कथा भी सुनायें|
भगवान शिव बोले-हे सनत्कुमार इस श्रावण मास में एकलिंग की स्थापना से ही भक्त को मेरा सामिप्य प्राप्त हो जाता है|
भगवान शिव बोले-हे सनत्कुमार! अब मैं तुम्हें धारण- पारण व्रत के बारे में विस्तार से बतलाऊंगा| उसे आप मन लगाकर सुनें|